वायरस में बदलाव, नए स्वरूप का उभार अलग-अलग चीज : वैज्ञानिक | Changes in viruses, emergence of new forms different things: scientists

वायरस में बदलाव, नए स्वरूप का उभार अलग-अलग चीज : वैज्ञानिक

वायरस में बदलाव, नए स्वरूप का उभार अलग-अलग चीज : वैज्ञानिक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : February 24, 2021/1:07 pm IST

( शकूर राठेर )

नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) कोरोना वायरस में आए 7000 से ज्यादा बदलावों का रिकॉर्ड तैयार किया गया है, लेकिन यह नए स्वरूप से संबंधित नहीं है। वैज्ञानिकों ने वायरस में होने वाले परिवर्तन और नए स्वरूप के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ राज्यों में कोविड-19 के संबंध में उचित तौर तरीका नहीं अपनाने के कारण शायद मामले बढ़ रहे हैं।

वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि अगर सुरक्षा संबंधी नियम नहीं अपनाए गए तो ज्यादा संक्रामक स्वरूप का प्रसार हो सकता है या यह मूल स्वरूप की जगह ले सकता है। एक हालिया सर्वेक्षण में भारत में सार्स कोव-2 के जीनोम में 7684 बदलाव का जिक्र किया गया है।

हैदराबाद स्थित सीएसआईआर- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) का अध्ययन चिंता का विषय है और कुछ धड़े में घबराहट बढ़ गयी है।

सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक और अध्ययन के सह लेखक राकेश मिश्रा के मुताबिक 6017 जीनोम अनुक्रमण के डाटा विश्लेषण से कोरोना वायरस के 7,684 बदलावों का दस्तावेजीकरण किया गया है।

मिश्रा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘इसका ये मतलब नहीं है कि देश में कोरोना वायरस के 7,000 स्वरूप हैं। इसका बस ये मतलब है कि अपेक्षा के अनुरूप वायरस के स्वरूप में बदलाव हुआ है और हमने इन बदलावों का दस्तावेजीकरण किया है।’’

साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अभी यह कह पाना कठिन है कि देश में वायरस के कितने स्वरूप हैं।

विषाणु विज्ञानी उपासना रे ने बताया कि वायरस के स्वरूप में बदलाव का मतलब न्यूक्लिक एसिड बेस या अमीनो एसिड कण में बदलाव से है और इसमें परिवर्तन को स्वरूप बदलना कहते हैं।

रे ने पीटीआई-भाषा को कहा, ‘‘बदलाव वाले सभी वायरस हमेशा कायम नहीं रह पाते। उनमें से कुछ खत्म हो जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सार्स कोव-दो में परिवर्तन कोई नयी बात नहीं है। आबादी के बीच वायरस जितने लंबे समय तक रहता है और जितना इसका प्रसार होता है, इसमें उतना ही बदलाव होता है और स्वरूप भी परिवर्तित होता है।

सीएसआईआर-सीसीएमबी के विश्लेषण में पाया गया कि कई देशों में खौफ पैदा करने वाले नए स्वरूप के मामले भारत में बहुत कम आए हैं और इसमें ‘ई484 के’ और ‘एन501वाई’ स्वरूप भी हैं।

नए स्वरूप की कम मौजूदगी का एक कारण यह भी हो सकता है कि पर्याप्त सीक्वेंसिंग नहीं हुई है। वायरस के नए स्वरूप का सटीकता से पता लगाने के लिए देश में कोरोना वायरस के जीनोम अनुक्रमण का और ज्यादा काम करने की जरूरत है।

विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने कहा कि ‘जीआईएसएआईडी’ डाटाबेस में भारत से सार्स कोव-दो के 5261 अनुक्रमण को दर्ज कराया गया है। ‘जीआईएसएआईडी’ विज्ञान क्षेत्र की एक पहल है जिसमें कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के अनुक्रमण का डाटा मुहैया कराया जाता है।

अशोक विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक जमील ने कहा, ‘‘1.1 करोड़ मामलों की पुष्टि के साथ अनुक्रमण दर 0.05 प्रतिशत है।’’

इसे देखते हुए कहा जा सकता है बदलाव पर पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी गैरमौजूदगी में मैं कहूंगा कि कोविड-19 के संबंध में उचित तौर तरीका पालन नहीं करने के कारण मामले बढ़ रहे हैं।’’

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश

 

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