नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, लंबे समय तक स्कूल बंद रहे तो कभी नहीं लौटेगें गरीब परिवारों के बच्चे

लंबे समय तक स्कूल बंद रहे तो गरीब परिवारों के बच्चों के कभी नहीं लौटने की आशंका बढ़ेगी: सत्यार्थी

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, लंबे समय तक स्कूल बंद रहे तो कभी नहीं लौटेगें गरीब परिवारों के बच्चे
Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 pm IST
Published Date: September 20, 2021 6:36 pm IST

कोलकाता, 20 सितंबर (भाषा) नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का कहना है कि जितने लंबे समय तक स्कूल बंद रहेंगे, गरीब परिवारों के बच्चों के कभी कक्षाओं में नहीं लौटने की आशंका उतनी ही बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय ‘‘चिकित्सा मूल्यांकन आधारित’’ होना चाहिए।

स्कूलों को बच्चों के लिए आश्रय स्थल बताते हुए, प्रसिद्ध बाल अधिकार कार्यकर्ता ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की जहां तालिबान ने पिछले महीने अमेरिका के नेतृत्व वाले बलों की वापसी के बाद देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था।

सत्यार्थी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘अफगानिस्तान में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए हमने अब तक जो प्रगति की है, उसे गंवाया नहीं जाना चाहिए। स्कूल बच्चों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल होना चाहिए और किसी भी प्रकार की लड़ाई में किसी भी बच्चे का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह बुनियादी मानव स्वतंत्रता और गरिमा के लिए आवश्यक है।’’

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भारत में कई हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में गिरावट के बीच स्कूलों को अभी फिर से खोला जाना चाहिए या नहीं, इस संबंध में सत्यार्थी ने स्थिति की समीक्षा को अत्यावश्यक बताया।

उन्होंने फोन पर दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह एक चिकित्सा मूल्यांकन आधारित निर्णय होना चाहिए। लेकिन हमें स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए कार्रवाई में तेजी लाने की जरूरत है। जितने लंबे समय तक स्कूल बंद रहेंगे, गरीब परिवारों के बच्चों के कभी कक्षाओं में वापस नहीं आने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी डिजिटल उपकरणों तक पहुंच नहीं है।’’

सत्यार्थी ने कहा कि स्कूल केवल शैक्षणिक प्रशिक्षण के केंद्र नहीं होते बल्कि भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक विकास के स्थान भी होते हैं। स्कूल बच्चों को सामाजिकता की भावना देते हैं। सत्यार्थी को पिछले सप्ताह ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए 17 वैश्विक ‘पक्षधरों’ में शामिल किया।

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उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चा ‘स्वतंत्र, सुरक्षित और शिक्षित’ होना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र समुदाय को लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए कोई झूठा वादा नहीं करना चाहिए बल्कि वास्तव में काम करना चाहिए।

सत्यार्थी ने कहा, ‘‘इस पीढ़ी के प्रति हमारे काम हमारी भावी दुनिया को बना या बिगाड़ सकते हैं। मैंने इस नियुक्ति को उनकी आवाज को वैश्विक नीति निर्माण के केंद्र में लाने की जिम्मेदारी और सम्मान के साथ स्वीकार किया है।’’

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com