क्रोमियम संदूषण: एनजीटी ने उप्र शासन की खिंचाई की, मुख्य सचिव को कार्रवाई करने का दिया निर्देश

क्रोमियम संदूषण: एनजीटी ने उप्र शासन की खिंचाई की, मुख्य सचिव को कार्रवाई करने का दिया निर्देश

क्रोमियम संदूषण: एनजीटी ने उप्र शासन की खिंचाई की, मुख्य सचिव को कार्रवाई करने का दिया निर्देश
Modified Date: June 10, 2025 / 08:06 pm IST
Published Date: June 10, 2025 8:06 pm IST

नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने क्रोमियम संदूषण से जूझ रहे गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर प्रयास न करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को उचित उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

कानपुर देहात के रनिया, कानपुर नगर के राखी मंडी और फतेहपुर जिले में क्रोमियम डंप (क्रोमियम संबंधी अपशिष्ट के ढ़ेर) के मामले में, अधिकरण प्रभावित गांवों के निवासियों को पीने योग्य पानी और अन्य उद्देश्यों की आपूर्ति के मुद्दे पर विचार कर रहा है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने सत्ताईस मई के आदेश में स्थानीय लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं पर न्यायमित्र वकील कात्यायनी द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों पर गौर किया। इन समस्याओं में पेय और गैर-पेय प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त जलापूर्ति, कूड़े के ढेरों से प्रदूषण का फैलना, खून की जांच करने पर फतेहपुर जिले के गोधरौली गांव के लोगों में क्रोमियम और पारा जैसे भारी धातुओं की उपस्थिति के कारण असामान्यताएं नजर आना और जिला या गांव स्तर पर जांच सुविधाओं की कमी आदि शामिल हैं।

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एनजीटी ने कहा, ‘‘निवासियों के समक्ष मौजूद समस्या के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। हम पाते हैं कि अभी तक गंभीर प्रयास नहीं किये गये हैं और यहां तक ​​कि पर्याप्त न्यूनतम जल आपूर्ति की व्यवस्था भी नहीं की गयी है। हमारे विचार से अधिकारियों को इन गांवों के निवासियों की आवश्यकता और समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए तथा उन्हें तत्काल, प्रभावी और सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।’’

राज्य के अधिकारियों के आचरण की निंदा करते हुए अधिकरण ने कहा कि शायद वे अब तक ‘मामले की गंभीरता’ को नहीं समझ पाए हैं।

परिणामस्वरूप, राज्य के मुख्य सचिव को इस मुद्दे की जांच करने और गांवों के निवासियों को कम से कम आवश्यक स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा उचित उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

इस मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश


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