नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) भारतीय तटरक्षक अपनी निगरानी, टोही और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ‘रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट’ (आरपीए) और मानवरहित हवाई यानों (यूएवी) को शामिल करने की प्रक्रिया में है। तटरक्षक के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्रालय द्वारा रविवार को ऑनलाइन साझा किए गए एक रिकॉर्डेड ‘पॉडकास्ट’ में शिवमणि ने कहा कि तटीय निगरानी नेटवर्क परियोजना का दूसरा चरण शुरू होने वाला है और यह इस वर्ष के अंत तक चालू हो जाएगा।
शिवमणि ने 1978 में गठित आईसीजी की विकास यात्रा को साझा किया, जो वर्तमान में रक्षा बल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
महानिदेशक ने बताया कि तटरक्षक की स्थापना के समय, भारतीय नौसेना से सेवा से हटाये गए दो जहाज तटरक्षक को दिए गए थे। महानिदेशक ने बताया कि अब, भारतीय तटरक्षक के पास विभिन्न आकार के लगभग 205 नौकाएं एवं जहाज, तथा 78 विमान हैं।
यह पूछे जाने पर कि तटरक्षक अपनी परिचालन तत्परता बढ़ाने के लिए खुद को कैसे मजबूत कर रहा है, उन्होंने कहा कि बल के पास विभिन्न आकार और विभिन्न क्षमताओं के जहाज और विमान हैं।
उन्होंने कहा, ‘एक दूरदर्शी तटरक्षक बल के रूप में, हम अत्याधुनिक तकनीक वाले अत्याधुनिक जहाज भी शामिल कर रहे हैं। विमानों के लिए भी हम यही कदम उठा रहे हैं, जो हमारी ताकत को कई गुना बढ़ा देगा। हम आरपीए और यूएवी को भी शामिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिससे समुद्री क्षेत्र में हमारी निगरानी, टोही और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता बढ़ेगी।’
तटरक्षक के तटीय निगरानी नेटवर्क- चरण एक में वर्तमान में ’46 रडार स्टेशन हैं, जो पूरी तरह से सक्रिय हैं।’
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा चरण भी जल्द ही शुरू होने वाला है। हमारे पास (इसके अंतर्गत) 38 रडार स्टेशन हैं, जो इस साल के अंत तक चालू हो जाएंगे।’’
भाषा आशीष अमित
अमित