Qatar Released Navy Officers Full Story
Qatar Released Navy Officers Full Story : 26 अक्टूबर 2023 को कतर ने इंडियन नेवी के 8 अफसरों को मौत की सज़ा सुनाई थी। फिर दिसंबर में इस सज़ा को उम्र कैद में कन्वर्ट कर दिया गया। अब हम भारतीयों के लिए ख़ुशी की बात ये है कि 12 फरवरी को इन 8 में से 7 अफसर वहां से आज़ाद होकर सही सलामत इंडिया वापस आ गए। मतलब सिर्फ 100 दिन के अंदर ये सब अफसर मौत के मुँह से निकलकर अपने घर लौट आये। इस फैसले को इंडियन डिप्लोमेटिक हिस्ट्री की बेहद बड़ी जीत बताई जा रही है। भारत सरकार उस क़तर से भारतीयों को निकलकर बहार ले आयी है जिस क़तर के मंत्रियों ने नूपुर शर्मा मामले पर सबसे ज़्यादा ज़हर उगला था। वो क़तर जिसका अल जज़ीरा चैनल भारत के खिलाफ अनाब शनाब लिखता है . वो क़तर जिसने अपने यहां हुए फुटबॉल वर्ल्डकप में ज़ाकिर नायक जैसे भारत भगोड़े को स्पीकर के तौर पर मौका दिया था।
अब ऐसे देश से अगर भारत सरकार अपने गैर मुस्लमान अफसरों को बहार निकालकर ले आयी है तो ये किसी जादू या फिर चमत्कार से कम नहीं है। ये मामला अपने आप में एक गवाही है कि पिछले 10 सालो में भारत सरकार की फॉरेन पालिसी कितनी स्ट्रांग हुयी है. अब सवाल है कि आखिर मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया है कि फॉरेन कन्ट्रीज उनको अपना दोस्त समझते हैं। आज इस वीडियो में हम इसी पर बात करेंगे और बदले हुए भारत की बदले हुए फॉरेन पालिसी को भी समझने की कोशिश करेंगे।
बता दें कि कतर की खुफिया इकाई ने 30 अगस्त 2022 को भारतीय नौसेना के आठ रिटायर्ड अफसरों को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार कर लिया था। कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश का जीवन संकट में था। वजह, उन पर कथित जासूसी का आरोप लगाया गया था. ये गिरफ़्तारी इतनी गुप्त तरीके से होती है कि 1 महीने तक कतर में मौजूद भारतीय दूतावास को हीं इसकी जानकारी नहीं लगती है. यह मामला गिरफ़्तारी के 1 महीने बाद तब सामने आती है जब पाकिस्तान का एक जर्नलिस्ट इस खबर को छापता है।
अक्टूबर 2022 में पहली बार गिरफ्तार हुए उन 8 navy officers को counsellar access दिया जाता है. इस बीच अरेस्ट हुए इन ऑफिसर्स की फॅमिली लगातार इस मुद्दे को जमकर उठाती है. भारत की सरकार भी इसके लिए क़तर के law form को hire करती है. नवंबर 2022 को क़तर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल को हटा कर PMO ऑफिस में स्पेशल ड्यूटी उन्हें अप्पोइंट कर दिया जाता है। क़तर की सरकार के तरफ से आज तक ऑफिशियली यह नहीं बताया गया है कि आखिर इन 8 नेवी फॉर्मर ऑफिसर्स को क्यों गिरफ्तार किया गया था ? क़तर की लोअर कोर्ट में यह मामला चलता रहा और यह जानकर आप दंग रह जायेंगे कि इसकी सुनवाई भी इतने सीक्रेट तरीके से होती थी की उसमे बहार के एक भी आदमी को शामिल होने नहीं दिया जाता था। फिर अक्टूबर 2023 को इन आठों ऑफिसर्स को सजाए मौत दे दी गयी थी।
यह खबर सामने आते ही देश भर में तहलका मच गया लेकिन भारत सरकार की तरफ से क़तर के लिए कोई भी HARSH Statement सामने नहीं आया। विदेश मंत्री हमेशा कहते रहे की हम उनलोगों की रिहाई का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच खबर आती है कि क़तर के आमिर से pm मोदी की दुबई में मुलाकात हुयी। इसके बाद 3 दिसंबर को indian ambassador vipul को गिरफ्तार अफसरों तक counseller access मिलती है। 7 दिसंबर को फिर से सुनवाई होती है और 28 दिसंबर को इनकी सज़ा उम्र कैद में तब्दील कर दी जाती है। और फिर क्या बस इसके 45 दिन बाद ये सब लोग वहां से आज़ाद होकर भारत लौट आते हैं। जैसे ही यह खबर सामने आयी पूरा देश shocked रह गया और ख़ुशी से झूमने लगा। सबके मन में एक ही सवाल की आखिर ये miracle हुआ कैसे ?
अगर आप मोदी सरकार के पिछले 10 सालों पर नज़र डालें तो ऐसे 5 बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन याद आते हैं जब सरकार ने अपना सब कुछ दांव पर लगा कर दुनिया के किसी भी कोने में फंसे भारतियों को सही सलामत निकाल कर बाहर ले आयी थी।
-2 साल पहले भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा चला कर रूस – यूक्रेन युद्ध से 22500 भारतियों को वहां से निकाला था
-इसी तरह 2023 में भारत सरकार ने सूडान से ऑपरेशन कावेरी चला कर 3800 लोगों को बाहर निकाल लाई थी
-साल 2021 में तालिबान के आफ्गानिस्तान पर कब्ज़ा कर लेने के बाद ऑपरेशन देवी शक्ति चला कर वहां से 1200 लोगों को सही सलामत निकाल लिया था।
– थोड़ा पीछे जाकर देखें तो 2015 में मोदी सरकार ने यमन से ऑपरेशन राहत चला कर 5600 लोगों को निकाला था.
– फिर 2019 के फरवरी में wing commander अभिनन्दन को पाकिस्तान से सह कुशल बाहर निकाला था. उस दिन को भला कौन भूल सकता है।
26 अक्टूबर 2023 को कतर ने इंडियन नेवी के 8 अफसरों को मौत की सज़ा सुनाई थी। फिर दिसंबर में इस सज़ा को उम्र कैद में कन्वर्ट कर दिया गया। अब हम भारतीयों के लिए ख़ुशी की बात ये है कि 12 फरवरी को इन 8 में से 7 अफसर वहां से आज़ाद होकर सही सलामत इंडिया वापस आ गए। मतलब सिर्फ 100 दिन के अंदर ये सब अफसर मौत के मुँह से निकलकर अपने घर लौट आये। इस फैसले को इंडियन डिप्लोमेटिक हिस्ट्री की बेहद बड़ी जीत बताई जा रही है। भारत सरकार उस क़तर से भारतीयों को निकलकर बहार ले आयी है जिस क़तर के मंत्रियों ने नूपुर शर्मा मामले पर सबसे ज़्यादा ज़हर उगला था। वो क़तर जिसका अल जज़ीरा चैनल भारत के खिलाफ अनाब शनाब लिखता है . वो क़तर जिसने अपने यहां हुए फुटबॉल वर्ल्डकप में ज़ाकिर नायक जैसे भारत भगोड़े को स्पीकर के तौर पर मौका दिया था.
अब ऐसे देश से अगर भारत सरकार अपने गैर मुस्लमान अफसरों को बहार निकालकर ले आयी है तो ये किसी जादू या फिर चमत्कार से कम नहीं है। ये मामला अपने आप में एक गवाही है कि पिछले 10 सालो में भारत सरकार की फॉरेन पालिसी कितनी स्ट्रांग हुयी है. अब सवाल है कि आखिर मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया है कि फॉरेन कन्ट्रीज उनको अपना दोस्त समझते हैं। आज इस वीडियो में हम इसी पर बात करेंगे और बदले हुए भारत की बदले हुए फॉरेन पालिसी को भी समझने की कोशिश करेंगे।
ये एक ऐसा फर्क है जो पिछले 10 सालों में हर भारतीय ने देखा है। लेकिन कहते हैं न कि शादी में आए फूफा और चाचा को कितना भी अच्छा कर दीजिये लेकिन घर वापस तो मुँह फुला ही जायेंगे। खैर बस इतना कहूँगी कि क़तर में जो कुछ हुआ उसे बस मामूली घटना मान कर भुला नहीं दिया जाये। ये ऐसे बदलते भारत की आहट है जिसकी गूंज सदियों तक सुनी जाएगी। अगर आपको हमारा यह वीडियो पसंद आये हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर कीजिये और आपकी क्या राय है इस वीडियो पर हमे हमारे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइये…