केरल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर सहमति बन गई है: राज्यपाल

केरल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर सहमति बन गई है: राज्यपाल

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 02:08 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 02:08 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय को बृहस्पतिवार को बताया गया कि केरल के राज्यपाल और राज्य सरकार ने एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केरल डिजिटल विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए नामों पर सहमति जता दी है।

राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ को बताया कि मामला हल हो गया है और उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति को उचित रूप से इस बारे में सूचित कर दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कुलपति के बिना किसी विश्वविद्यालय का संचालन नहीं हो सकता क्योंकि उसकी एक अहम भूमिका होती है।

पीठ ने कहा, “हमारे पिछले आदेश के बाद कुछ सकारात्मक घटनाक्रम हुए हैं। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि समय रहते किया गया निर्णायक हस्तक्षेप लोगों के अधिकारों की रक्षा में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दो प्रमुख विश्वविद्यालयों का संचालन बिना स्थायी कुलपति के किया जा रहा था। इन विश्वविद्यालयों के प्रमुख का पद खाली था, और इसका कारण केवल यह था कि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। इस अदालत के दरवाजे पर दस्तक दी गई, और हम इस स्थिति को लेकर गहरी चिंता में थे।”

पीठ ने कहा, ‘हमने न्यायमूर्ति धूलिया को नियुक्त किया और उन्हें दो विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद के लिए कम से कम तीन नाम की सिफारिश करने का कार्य सौंपा। आज, हमें खुशी है कि कुलपति की नियुक्ति के बारे में कुलाधिपति और सरकार ने यह जानकारी दी है कि कुलपतियों की नियुक्ति कर दी गई है। हम न्यायमूर्ति धूलिया के कामकाज की सराहना करते हैं।”

उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उसका प्रयास था कि सभी हितधारकों के हितों की सुरक्षा की जाए।

पीठ ने कहा, ‘हम उन अधिकारियों की सराहना करते हैं जिन्होंने नियुक्ति में अदालत की मदद की। अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को सुंदर तरीके से समाप्त किया और हम अटॉर्नी जनरल, वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और उनकी पूरी टीम की भी सराहना करते हैं, जिन्होंने इस मुद्दे का बहुत सुखद अंत सुनिश्चित किया।”

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल व कुलाधिपति राजेंद्र अर्लेकर के बीच निरंतर गतिरोध को ध्यान में रखते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 11 दिसंबर को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति से कहा था कि वह दो प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए एक-एक नाम की सिफारिश करे।

उच्चतम न्यायालय ने पहले कहा था कि यदि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की चयन प्रक्रिया को लेकर सहमति नहीं बनती है तो वह इस गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करेगा।

इससे पहले 28 नवंबर को इस मामले पर समिति की रिपोर्ट को राज्यपाल और कुलाधिपति राजेंद्र आर्लेकर द्वारा ‘नहीं देखे जाने’ पर गंभीर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा था कि यह कोई साधारण कागज का टुकड़ा नहीं है और उन्हें इस पर निर्णय लेना ही होगा।

केरल के राज्यपाल ने कुलपतियों की चयन प्रक्रिया से विजयन को बाहर रखने के लिए दो सितंबर को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

राज्यपाल ने कहा था कि दोनों विश्वविद्यालयों में से किसी ने भी चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं देखी है।

इस मामले पर ‘गतिरोध’ को समाप्त करने के लिए, 18 अगस्त को न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश धूलिया को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए गठित एक पैनल का प्रमुख नियुक्त किया था।

शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को केरल सरकार और राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के विवाद को सुलझाने के लिए ‘सामंजस्यपूर्ण तरीके से कोई तंत्र तैयार करने’ को कहा था।

भाषा जोहेब नरेश

नरेश