जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार देश भारत के विकास को नहीं रोक सकते : भूपेंद्र यादव |

जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार देश भारत के विकास को नहीं रोक सकते : भूपेंद्र यादव

जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार देश भारत के विकास को नहीं रोक सकते : भूपेंद्र यादव

:   Modified Date:  March 28, 2023 / 09:06 PM IST, Published Date : March 28, 2023/9:06 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत अपने लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने को लेकर अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र है और जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार देश इसके विकास को रोकने के लिए नहीं कह सकते हैं।

यादव ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही जलवायु को लेकर न्यायसंगत व्यवस्था का पक्षधर रहा है, जिसका अर्थ है कि गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए सभी के पास संसाधनों की पहुंच है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘जब हम जीवाश्म ईंधन के उपयोग को रोकने की बात करते हैं। हम कहते हैं कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि अतीत में अपने विकास के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले देश हमसे अपने विकास को रोकने के लिए कहें। हम जलवायु परिवर्तन के अलावा जलवायु को लेकर न्यायसंगत व्यवस्था के भी पक्षधर रहे हैं। ’’

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार देश यह तय नहीं कर सकते कि भारत अपनी आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कैसे करे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अपनी पूरी आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना चाहता है और उनके जीवन में बदलाव लाना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम किसी को अंधेरे में नहीं रखना चाहते हैं। हमारे पास यह तय करने की शक्ति और स्वतंत्रता है कि हम अपने ऊर्जा संसाधनों का उपयोग कैसे करें। यह हमारा निर्णय है। जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार लोग हमें यह नहीं बता सकते कि हमें क्या करने की जरूरत है।’’

मंत्री ने कहा कि भारत सिर्फ जलवायु परिवर्तन की बात नहीं करता बल्कि इस चुनौती से निपटने के लिए कार्रवाई भी करता है।

भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘ हम उन देशों में से एक हैं जिन्होंने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को अद्यतन किया है। हमने अपने दो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त किया- पहला, सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को कम करना और दूसरा नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य- 2015 में निर्धारित समय से पहले प्राप्त किया। ’’

एनडीसी का अर्थ है किसी देश द्वारा वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय योजनाएं और प्रतिज्ञाएं, जबकि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य।

भारत ने पिछले साल अगस्त में अपने एनडीसी को अद्यतन किया, 2005 के स्तर से 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने का वादा किया, और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता हासिल करने का वादा किया।

देश ने 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान निर्धारित 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा की क्षमता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगन से काम किया और अब 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत ने ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्रीय बजट में 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

भाषा रवि कांत रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)