अदालत ने सीबीएसई द्वारा बढ़ाये गये परीक्षा शुल्क के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

अदालत ने सीबीएसई द्वारा बढ़ाये गये परीक्षा शुल्क के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

अदालत ने सीबीएसई द्वारा बढ़ाये गये परीक्षा शुल्क के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की
Modified Date: November 29, 2022 / 08:50 pm IST
Published Date: March 26, 2021 12:33 pm IST

नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं कक्षाओं में पढ़ने वाले गरीब बच्चे बोर्ड परीक्षा की फीस नहीं दे पाएंगे और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को उसी प्रकार इसका भुगतान करने के निर्देश दिया जाए जैसा कि उसने अतीत में किया था।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि परीक्षा शुल्क की पूर्ण या आशिंक छूट का कोई अधिकार नहीं है और सरकार को यह निर्णय करना है कि क्या प्रत्येक वर्ष के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर और प्रशासन की अन्य प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे वहन किया जा सकता है या नहीं।

अदालत ने कहा कि सरकार को परीक्षा शुल्क को पूरी तरह से या आंशिक रूप से माफ करने का निर्देश देने की वह इच्छुक नहीं है और उसे याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखाई देता है।

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उसने कहा, ‘‘इन टिप्पणियों के साथ, याचिका खारिज की जाती है।’’

एक सोसाइटी, ‘पैरेंट्स फोरम फॉर मीनिंगफुल एजुकेशन’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2019-20 में ‘‘मनमाने ढंग से’’ परीक्षा शुल्क बढ़ा दिया था और 2020-21 में भी वहीं शुल्क ले रही है, जब हर कोई महामारी के कारण आर्थिक रूप से प्रभावित हुआ है।

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में दिल्ली सरकार ने उसके स्कूलों में कक्षा 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे विद्यार्थियों के परीक्षा शुल्क का भुगतान किया था और आश्वासन दिया था कि भविष्य में मामले को सुलझा लिया जायेगा।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश


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