न्यायालय ने आतंकवादी कृत्य के दोषी को समय पूर्व रिहा करने से इनकार किया

न्यायालय ने आतंकवादी कृत्य के दोषी को समय पूर्व रिहा करने से इनकार किया

न्यायालय ने आतंकवादी कृत्य के दोषी को समय पूर्व रिहा करने से इनकार किया
Modified Date: July 15, 2025 / 10:34 pm IST
Published Date: July 15, 2025 10:34 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आतंकवादी कृत्य से कथित रूप से जुड़े तिहरे हत्याकांड के दोषी गुलाम मोहम्मद भट के लिए समय पूर्व रिहाई का आदेश देने से इनकार कर दिया।

हालांकि, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने भट को एक अन्य लंबित मामले में आवेदन दायर करके केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सजा में छूट नीति को चुनौती देने की अनुमति दे दी।

पीठ ने भट की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने 27 साल जेल में बिताए जाने के आधार पर शीघ्र रिहाई की मांग की थी।

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वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस भट की ओर से पेश हुए, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।

भट ने कथित तौर पर सेना के एक मुखबिर के घर में घुसकर एके-47 राइफल से गोलीबारी की थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि घटनास्थल से एक ‘अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर’ सहित विस्फोटक उपकरण भी बरामद किए गए थे।

नटराज ने दलील दी कि सेना को कथित तौर पर जानकारी देने के लिए नागरिकों की हत्या करना एक आतंकवादी कृत्य है और इसलिए भट को समयपूर्व रिहाई का लाभ लेने से वंचित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इस कृत्य का उद्देश्य भय पैदा करना और अधिकारियों के साथ सहयोग करने से रोकना था। यह एक साधारण हत्या से कहीं बढ़कर है।’’

इस तर्क से सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यदि यह कृत्य भय पैदा करने के लिए किया गया था, ताकि कोई भी कानून का पक्ष लेने की हिम्मत न करे, तो यह निश्चित रूप से एक आतंकवादी कृत्य के लक्षण को दर्शाता है।’’

शीर्ष अदालत ने आगे कहा, ‘‘भले ही मुकदमे के दौरान ‘टाडा’ के प्रावधान को लागू नहीं किया गया हो, लेकिन इससे अदालत को सजा में छूट के उद्देश्य के लिए अपराध की वास्तविक प्रकृति का आकलन करने से स्वतः ही वंचित नहीं किया जा सकता।’’

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप


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