अदालत ने किशोरी से बलात्कार को लेकर व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई

अदालत ने किशोरी से बलात्कार को लेकर व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई

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  • Publish Date - March 13, 2025 / 08:20 PM IST,
    Updated On - March 13, 2025 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 14 वर्षीय किशोरी से बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और कहा कि इस अपराध के लिए कठोर सजा की ही दरकार थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने, ‘‘बच्चों को जघन्य अपराधों से बचाने में समाज के हित’’ को ध्यान में रखते हुए, व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (2) (एन) (कई बार बलात्कार करने) और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया था।

विशेष सरकारी वकील श्रवण कुमार बिश्नोई ने दलील दी कि दोषी किसी भी तरह की नरमी बरते जाने का हकदार नहीं है और कहा कि बलात्कार के कारण पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया।

पीड़िता की गवाही का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि किशोरी उस व्यक्ति को ‘अंकल’ कहा करती थी, लेकिन उसने उसे अकेला पाकर दो बार – एक बार सितंबर में और फिर दिसंबर 2023 में – उसका यौन उत्पीड़न किया।

अदालत ने कहा, ‘‘दोषी को इस बात की परवाह नहीं थी कि पीड़िता उसे ‘अंकल’ कहा करती थी या वह उसके पड़ोसी की बेटी थी। हमारी भारतीय संस्कृति में, जब माता-पिता कहीं जाते हैं, तो वे पड़ोसियों से अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कहते हैं और दोषी ने उस भरोसे को तोड़ा तथा विश्वासघात किया, जिससे अपराध और अधिक गंभीर हो गया।’’

अदालत ने 10 मार्च को अपने फैसले में कहा, ‘‘बच्चों के साथ बलात्कार एक जघन्य अपराध है। बच्चे किसी भी समाज की सबसे कीमती संपत्ति होते हैं। समाज का यह कर्तव्य है कि वह न केवल उन्हें यौन हिंसा और उत्पीड़न से बचाए, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करे।’’

अदालत ने कहा कि पीड़िता के अकेले होने का फायदा उठाकर दोषी ने बार-बार उसे अपनी हवस का शिकार बनाया।

अदालत ने कहा, ‘‘पीड़िता से पैदा हुए बच्चे को, गोद लेने के लिए, विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी को दिया गया है। इस प्रकार, न केवल पीड़िता और उसका परिवार, बल्कि पीड़िता का बच्चा भी दोषी व्यक्ति के अपराध से प्रभावित हुआ है।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘आजीवन कारावास की सजा न्याय के साथ-साथ समाज के हित में भी होगी। यह एक सामान्य निवारक के रूप में काम करेगा।’’

अदालत ने पीड़िता को 19.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश