दिल्ली उच्च न्यायालय ने लक्सर समूह के संस्थापक की वसीयत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने लक्सर समूह के संस्थापक की वसीयत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने लक्सर समूह के संस्थापक की वसीयत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
Modified Date: August 19, 2025 / 07:36 pm IST
Published Date: August 19, 2025 7:36 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने लक्सर समूह के दिवंगत संस्थापक दविंदर कुमार जैन की बेटी प्रिया जैन द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें वर्ष 2004 की एक पारिवारिक वसीयत को चुनौती दी गई है। दविंदर कुमार जैन का मार्च, 2014 में निधन हो गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि असमान वसीयतों के कारणों को दर्ज करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने उनकी अपील खारिज कर दी, जिसमें दावा किया गया था कि वसीयत ‘जाली और मनगढ़ंत’ है।

यह अपील एकल न्यायाधीश के आदेश के विरुद्ध दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि वसीयत का निष्पादन भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (आईएसए), 1925 की धारा 63 के अनुसार विधिवत सिद्ध होता है।

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पीठ ने मंगलवार को अपीलकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वसीयत जाली थी क्योंकि वह पंजीकृत नहीं थी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह तर्क कि वसीयत का पंजीकृत होना आवश्यक है, अप्रासंगिक है। आईएसए की धारा 63 के तहत वसीयत का पंजीकृत होना आवश्यक नहीं है।’’

पीठ ने कहा कि अपंजीकृत स्थिति, बिना किसी आरोप के सत्यापित करने वाले गवाह की गवाही के मद्देनजर संदेह पैदा नहीं करती, खासकर तब जब एक सत्यापित करने वाले गवाह ने वसीयत का समर्थन किया और उससे लंबी जिरह के बावजूद उसके बयान की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया जा सका।

पीठ ने कहा, ‘‘वसीयत कानून के अनुसार विधिवत सिद्ध है, संदिग्ध परिस्थितियों से मुक्त है और वसीयतकर्ता की इच्छा को दर्शाती है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि वसीयत प्राकृतिक उत्तराधिकार के सिद्धांतों से भटक गई है और संपत्ति का बड़ा हिस्सा एक उत्तराधिकारी को सौंप दिया गया है, जबकि अन्य को आंशिक रूप से या पूरी तरह से बहिष्कृत कर दिया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘कानून किसी वसीयतकर्ता पर असमान वसीयतों के कारणों को दर्ज करने का कोई दायित्व नहीं डालता है, बशर्ते कि दस्तावेज़ अन्यथा विधिवत निष्पादित हो और संदिग्ध परिस्थितियों से मुक्त हो।’’

प्रिया ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।

भाषा संतोष नरेश

नरेश


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