उच्च न्यायालय ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे साइबर अपराधों से संबंधित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

उच्च न्यायालय ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे साइबर अपराधों से संबंधित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

उच्च न्यायालय ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे साइबर अपराधों से संबंधित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
Modified Date: February 7, 2025 / 04:05 pm IST
Published Date: February 7, 2025 4:05 pm IST

नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ जैसे ‘नए युग’ के साइबर अपराधों के खिलाफ एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया और अगली सुनवाई 19 मार्च के लिए तय की।

पीठ ने कहा, ‘‘भारत संघ द्वारा चार सप्ताह के भीतर हलफनामा/जवाब दाखिल किया जाए। उसके बाद दो सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर दाखिल किया जाए।’’

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नोटिस जारी करते हुए उच्च न्यायालय ने 2024 में केंद्र, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और भारतीय रिजर्व बैंक को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।

जनहित याचिका में साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और शिकायत दर्ज करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अक्षय और उर्वशी भाटिया ने कहा कि अब साइबर अपराधी उच्चतम न्यायालय सहित फर्जी अदालती आदेशों, प्राथमिकी और गिरफ्तारी वारंटों का डर दिखाकर समझौते करने की आड़ में निर्दोष नागरिकों से पैसा वसूली करते हैं।

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं में से एक को ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ के तहत कथित तौर पर दिल्ली की एक अदालत द्वारा जारी किया गया ‘‘जाली और मनगढ़ंत’’ गिरफ्तारी वारंट मिला।

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल


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