दिल्ली दंगे: अदालत ने कहा- गवाह के बयान की सत्यता जमानत के चरण में नहीं परखी जा सकती

दिल्ली दंगे: अदालत ने कहा- गवाह के बयान की सत्यता जमानत के चरण में नहीं परखी जा सकती

दिल्ली दंगे: अदालत ने कहा- गवाह के बयान की सत्यता जमानत के चरण में नहीं परखी जा सकती
Modified Date: November 29, 2022 / 08:02 pm IST
Published Date: May 25, 2022 9:28 pm IST

नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि फरवरी 2020 में हुए दंगों की कथित साजिश के आरोपों में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर विचार के चरण में गवाहों के बयानों की सत्यता की जांच जरूरी नहीं है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वह जमानत याचिका पर विचार करने के चरण में ‘मिनी ट्रायल’ नहीं कर सकता।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा, “जहां तक ​​गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) का संबंध है, हमें (इस चरण में) रिकॉर्ड पर लाये गये तथ्यों की सत्यता का परीक्षण किए बिना उन तथ्यों पर विचार करना होगा। उन तथ्यों का खंडन केवल मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही किया जा सकता है।’’

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इस पर खालिद के वकील ने कहा कि वह अदालत को इस चरण में ‘मिनी ट्रायल’ करने को नहीं कर रहे हैं।

पीठ निचली अदालत द्वारा 24 मार्च को जमानत याचिका खारिज किये जाने को चुनौती देने वाली खालिद की अपील पर सुनवाई कर रही है।

अदालत ने कहा कि वह जमानत याचिका पर 30 मई को सुनवाई करेगी।

दिल्ली दंगों के सिलसिले में खालिद को 13 सितम्बर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है।

भाषा

सुरेश पवनेश

पवनेश


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