डीयू के कुलपति का ‘एक्स’ अकाउंट ‘फॉलो’ करने और ‘पोस्ट’ साझा का नोटिस वापस लिया गया

डीयू के कुलपति का ‘एक्स’ अकाउंट ‘फॉलो’ करने और ‘पोस्ट’ साझा का नोटिस वापस लिया गया

डीयू के कुलपति का ‘एक्स’ अकाउंट ‘फॉलो’ करने और ‘पोस्ट’ साझा का नोटिस वापस लिया गया
Modified Date: May 14, 2025 / 04:43 pm IST
Published Date: May 14, 2025 4:43 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शहीद भगत सिंह कॉलेज ने अपने छात्रों और कर्मचारियों से कुलपति योगेश सिंह के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल को ‘फॉलो’ करने और भारतीय सशस्त्र बलों के साथ एकजुटता व्यक्त करने वाले उनके ‘पोस्ट’ को सक्रिय रूप से साझा करने के अनुरोध वाले नोटिस को वापस ले लिया है।

कॉलेज के प्राचार्य अरुण कुमार अत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा नोटिस जारी किया गया था और इसका कुलपति से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इन नेक इरादों का गलत अर्थ निकाला, जिसके बाद इसे वापस ले लिया गया।

अब वापस लिए जा चुके और 12 मई की तारीख वाले नोटिस में कहा गया था, ‘‘कॉलेज के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों से अनुरोध है कि वे कुलपति प्रो. योगेश सिंह के आधिकारिक ट्विटर (अब ‘एक्स’) अकाउंट को फॉलो करें।’’

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नोटिस में कहा गया, ‘‘कॉलेज समुदाय को मंच के माध्यम से साझा किए गए ‘पोस्ट’ को ‘रीट्वीट’ करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है’’ ताकि देश के रक्षा बलों के प्रति समर्थन और कृतज्ञता जताई जा सके।

इसमें कहा गया, ‘‘इन संदेशों को आगे बढ़ाकर हम न केवल उनके साहस एवं बलिदान के बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे बल्कि हमारे समुदाय में राष्ट्रीय गौरव एवं एकता की मजबूत भावना पैदा करने में भी योगदान देंगे।’’

इस नोटिस पर कॉलेज प्राचार्य के हस्ताक्षर थे।

प्राचार्य अत्री ने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया, ‘‘हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए यूजीसी के राष्ट्र प्रथम अभियान के तहत नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का डीयू के कुलपति योगेश सिंह से कोई लेनादेना नहीं है। कुछ लोगों ने इसका गलत मतलब निकाला जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने इसे वापस ले लिया है।’’

डीयू अकादमिक परिषद की सदस्य प्रो माया जॉन ने नोटिस की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘किसी को ‘एक्स’ पर फॉलो करना या नहीं करना व्यक्ति की अपनी पसंद पर निर्भर करता है। किसी अधिकारी को किसी अन्य अधिकारी द्वारा फॉलो करने का निर्देश न केवल सनक है, बल्कि छात्रों और शिक्षकों के बीच चापलूसी की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है।’’

जॉन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘डीयू के एक कॉलेज प्राचार्य द्वारा यह निर्देश अत्यंत निंदनीय है।’’

डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने इस महीने की शुरूआत में ‘एक्स’ पर अपना ‘अकाउंट’ बनाया था और आठ मई को पहली ‘पोस्ट’ साझा की थी। उन्होंने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर 12 मई को एक ‘पोस्ट’ साझा की थी।

सिंह ने ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी आतंकवादी अड्डों को नेस्तनाबूद करने के साथ-साथ 100 से अधिक आतंकवादियों को जमींदोज कर दिया, जिनमें आईसी814 के अपहरणकर्ता और पुलवामा के दहशतगर्द भी शामिल थे।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘हमारी सेना और सरकार, सामरिक कारणों से, देश के हित को सर्वोपरि रखते हुए सामरिक काम ज्यादा करती है और कम बोलती है।’’

उन्होंने ‘पोस्ट’ के अंत में रामधारी सिंह दिनकर की हिंदी कविता ‘‘परशुराम की प्रतीक्षा’’ की पंक्तियां लिखीं और सशस्त्र बलों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति एकजुटता और समर्थन का आह्वान किया।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश


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