भ्रष्टाचार की रोकथाम के मामले में आवश्यक निर्देश जारी करें डीजीपी:उच्च न्यायालय

भ्रष्टाचार की रोकथाम के मामले में आवश्यक निर्देश जारी करें डीजीपी:उच्च न्यायालय

भ्रष्टाचार की रोकथाम के मामले में आवश्यक निर्देश जारी करें डीजीपी:उच्च न्यायालय
Modified Date: December 9, 2025 / 08:49 pm IST
Published Date: December 9, 2025 8:49 pm IST

प्रयागराज, नौ दिसंबर (भाषा) भ्रष्टाचार की रोकथाम के मामले हल्के ढंग से निपटाए जाने को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है।

यह निर्देश जारी करते हुए न्यायमूर्ति समीर जैन ने सुरेश प्रकाश गौतम नाम के व्यक्ति द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली। गौतम के खिलाफ सहारनपुर जिले में भ्रष्टाचार रोकथाम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा, “आरोप के मुताबिक श्रम प्रवर्तन अधिकारी के तौर पर तैनात याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के दावे का निपटान करने के लिए उससे रिश्वत देने की मांग की और बाद में उसे रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया और रिश्वत की रकम भी बरामद की गई। साथ ही उसके मकान से 21.50 लाख रुपये की नकदी भी बरामद की गई।”

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अदालत ने कहा, “लेकिन कथित घटनास्थल पर ना तो याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के हाथ धुले गए और ना ही बरामद रिश्वत की रकम सील की गई। रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि कथित रिश्वत से संबंधित बरामदगी मेमो भी घटनास्थल पर तैयार नहीं किया गया।”

अदालत ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि ये सभी कार्रवाई पुलिस थाना में की गई। इन तथ्यों पर विचार करते हुए और रंगे हाथ पकड़ने की कार्यवाही संदेहपूर्ण होने की याचिकाकर्ता के वकील की दलील को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता।”

अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 21 अगस्त, 2025 को शिकायत की थी, लेकिन चार अगस्त, 2025 को याचिकाकर्ता ने श्रम उपायुक्त के समक्ष एक आवेदन कर बताया था कि उसके कार्यालय के कुछ अधिकारी उसे झूठे मामलों में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं।

धन की बरामदगी में खामियां पाने के बाद अदालत ने कहा, “ज्यादातर मामलों में ना तो मौके पर आरोपी और शिकायतकर्ता के हाथ धुले जा रहे हैं और ना ही मौके पर बरामद रिश्वत की रकम सील की जा रही है। जबकि कार्यवाही की पवित्रता के लिए ये कार्यवाही मौके पर ही की जानी चाहिए।”

अदालत ने एक दिसंबर, 2025 को पारित अपने आदेश में महानिबंधक को इस आदेश की प्रति जल्द से जल्द प्रमुख सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया ताकि इसका अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

भाषा सं राजेंद्र संतोष

संतोष


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