(अनवारुल हक)
डीडवाना (राजस्थान), 19 नवंबर (भाषा) राजस्थान के डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व मंत्री यूनुस खान गांव-गांव लोगों से समर्थन मांगने के साथ ही मंदिर के सामने शीश नवाना और तेजा जी महाराज का जयकारा लगाना नहीं भूलते। उनके आक्रामक चुनाव अभियान ने इस विधानसभा क्षेत्र में न सिर्फ मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
कभी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले खान भाजपा से टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं।
कांग्रेस ने इस सीट से अपने वर्तमान विधायक चेतन डूडी को टिकट दिया है तो भाजपा ने जितेंद्र सिंह जोधा को उम्मीदवार बनाया है।
यूनुस खान डीडवाना के हर गांव एवं ढाणी (खेतों में बसावट) में जाने पर वहां के मंदिर में शीश नवाते हैं और लोगों से समर्थन मांगते हैं।
वह अपने भाषण की शुरुआत में तेजा जी महाराज का जयकारा भी लगाते हैं। वीर तेजाजी एक राजस्थानी लोक देवता हैं जिन्हें समाज के कई वर्गों विशेषकर जाट समुदाय में पूजा जाता है।
खान का कहना है कि वह ‘सर्वसमाज के जनसेवक’ के रूप में लोगों के बीच हैं। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मेरे साथ डीडवाना की 36 बिरादरी खड़ी है। मैं सर्वसमाज, सर्वधर्म के जनसेवक के रूप में लोगों के बीच हूं। मुझे यकीन है कि जनता इस चुनाव में एक बार फिर समर्थन देगी।’
वसुंधरा सरकार में लोक निर्माण और परिवहन मंत्री रहे यूनुस खान वर्ष 2003 और 2013 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से डीडवाना का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
उनकी सभाओं में कई ऐसे लोग मिले जो मूलतः भाजपा के मतदाता हैं, लेकिन वह खान के साथ हुए ‘अन्याय’ का हवाला देकर उनके समर्थन की बात करते हैं।
डीडवाना के कोलिया गांव की सभा में मौजूद महावीर चौधरी कहते हैं, ‘हम भाजपा और मोदी जी के साथ हैं, लेकिन सच कहूं तो यूनुस खान के साथ अन्याय हुआ है। भाजपा को उन्हें टिकट देना चाहिए था। लोकसभा में भाजपा को वोट देंगे, लेकिन इस चुनाव में हमारा वोट अलमारी (खान का चुनाव चिह्न ) के साथ जाएगा।’
स्थानीय मतदाता नीरज सैनी का कहना था, ‘अगर यूनुस खान भाजपा के उम्मीदवार होते तो भाजपा की राह यहां बहुत आसान हो जाती। अब मुकाबला कड़ा है। अब कहा नहीं जा सकता कि इस त्रिकोणीय संघर्ष में कौन जीतेगा।’
डीडवाना में कुछ ऐसे मतदाता भी मिले, जिनका कहना था कि चुनाव खत्म होते-होते लड़ाई त्रिकोणीय न रहकर भाजपा और कांग्रेस के बीच हो जाएगी।
स्थानीय मतदाता अनीस अहमद ने कहा, ‘अभी यूनुस खान को बहुत समर्थन मिलता नजर आ रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि आखिर में चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच हो जाएगा। ऐसा नहीं लगता कि भाजपा का मूल मतदाता यूनुस खान के साथ जाएगा, चाहे वो अभी कुछ भी कह रहा हो।’
डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.64 लाख मतदाता हैं जिनमें मुस्लिम, जाट और माली समुदायों के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका मानी जाती है।
इस क्षेत्र से पिछले 30 वर्षों से कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी जीत नहीं सका है। आखरी बार 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार चेनाराम विजयी हुए थे जिन्होंने भाजपा के भंवर सिंह को पराजित किया था।
डीडवाना विधानसभा सीट से यह दिलचस्प पहलू भी जुड़ा हुआ है कि पिछले कई चुनावों से कोई वर्तमान विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सका क्योंकि वह या तो चुनाव हार गया या फिर उसकी पार्टी ने उसका टिकट काट दिया।
मारवाड़ क्षेत्र के मशहूर किसान नेता मथुरादास माथुर भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेतन डूडी ने भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र जोधा को करीब 40,000 के भारी मतों के अंतर से पराजित किया था।
वर्ष 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यूनुस खान को डीडवाना से टोंक भेज दिया था जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से था।
उस चुनाव में यूनुस खान को हार का सामना करना पड़ा था। पायलट को 1,09,040 और खान को 54,861 वोट मिले थे।
भाजपा ने इस बार राज्य की 200 विधानसभा सीट में से एक भी सीट पर किसी मुस्लिम व्यक्ति को टिकट नहीं दिया है।
राजस्थान में 200 विधानसभा सीट के लिए आगामी 25 नवंबर को मतदान होना है। मतगणना तीन दिसंबर को होगी।
भाषा हक
संतोष
संतोष