एनसीआर के राज्यों से ठोस अपशिष्ट संग्रहण, पृथक्करण के लिए अधिकारियों को नामित करने का निर्देश |

एनसीआर के राज्यों से ठोस अपशिष्ट संग्रहण, पृथक्करण के लिए अधिकारियों को नामित करने का निर्देश

एनसीआर के राज्यों से ठोस अपशिष्ट संग्रहण, पृथक्करण के लिए अधिकारियों को नामित करने का निर्देश

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Modified Date: April 24, 2025 / 06:53 PM IST
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Published Date: April 24, 2025 6:53 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को ठोस अपशिष्ट के शत-प्रतिशत संग्रहण एवं पृथक्करण का लक्ष्य हासिल करने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नामित करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने टिप्पणी की कि इन राज्यों को उत्पन्न अपशिष्ट का यथार्थवादी मूल्यांकन करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने एनसीआर क्षेत्र के राज्यों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने की बाहरी सीमा तय करने का निर्देश दिया।

इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों मुद्दों से निपटने वाले नोडल अधिकारी एक सितंबर, 2025 से नियमित अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेंगे। प्रत्येक तिमाही के बाद अनुपालन रिपोर्ट इस न्यायालय में दाखिल की जाएगी।’’

शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि यह रिपोर्ट मामले की सुनवाई करने वाली संबंधित पीठ के समक्ष जाए।

अदालत ने कहा, ‘‘जब तक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम, 2016 के प्रावधानों का उचित प्रचार नहीं किया जाता और गैर-अनुपालन के लिए दंड का प्रावधान नहीं किया जाता, तब तक इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सकता। हम एनसीआर क्षेत्र के राज्यों और एमसीडी को इस संबंध में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश देते हैं।’

शीर्ष अदालत ने रेखांकित किया कि स्रोत पर अपशिष्ट का पृथक्करण पर्यावरण के लिए ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण’’ है और एनसीआर के राज्यों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों का अनुपालन करने को कहा।

एनसीआर में दिल्ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिलों के अलावा दिल्ली भी शामिल है।

राज्यों को 2016 के नियमों के प्रावधानों के साथ अब तक सभी शहरी स्थानीय निकायों के अनुपालन से संबंधित हलफनामे दाखिल करने का आदेश दिया गया।

उनसे कचरा प्रबंधन के लिए समयसीमा और कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ एक व्यापक योजना बनाने के लिए भी कहा गया था।

उन्होंने कहा, ‘यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि हलफनामे में एनसीआर के भीतर सभी शहरी स्थानीय निकायों के संबंध में अनुपालन की बात कही जाएगी।’

शीर्ष अदालत ने कुछ निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर आदेश देने पर विचार किया था और 2016 के नियमों का पालन करने में दिल्ली सरकार और नागरिक निकाय की विफलता को चिह्नित किया था।

दिल्ली-एनसीआर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का मुद्दा एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले से उपजा है।

भाषा सुरेश माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)