जयपुर के चिकित्सकों ने ‘इलेक्ट्रोसर्जरी’ से महिला का हृदय वाल्व बदला

जयपुर के चिकित्सकों ने ‘इलेक्ट्रोसर्जरी’ से महिला का हृदय वाल्व बदला

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  • Publish Date - August 6, 2025 / 07:46 PM IST,
    Updated On - August 6, 2025 / 07:46 PM IST

जयपुर, छह अगस्त (भाषा) जयपुर के एक अस्पताल में ‘इलेक्ट्रोसर्जरी’ से एक महिला के हृदय वाल्व को बदला गया है और चिकित्सकों का दावा है कि यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है।

अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान अस्पताल (आरएचएल) के चिकित्सकों ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर निवासी 74 वर्षीय महिला की ‘इलेक्ट्रोसर्जिकल वाल्व-इन-वाल्व माइट्रल’ प्रक्रिया सफलतापूर्वक की है।

‘इलेक्ट्रोसर्जरी’ एक आधुनिक शल्य चिकित्सा तकनीक है जिसमें उच्च आवृत्ति वाली विद्युत धारा का उपयोग करके शरीर के ऊतकों को काटा जाता है या नष्ट किया जाता है।

उन्होंने बताया कि महिला की पहले ‘डुअल वाल्व’ प्रतिस्थापन के लिए ‘ओपन-हार्ट’ सर्जरी हुई थी और ‘माइट्रल वाल्व’ में खराबी के कारण उन्हें फिर से दिक्कत हो रही थी।

अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार ‘माइट्रल वाल्व’ हृदय के चार वाल्व में से एक है और हृदय के बाएं आलिंद और बाएं निलय के बीच स्थित होता है। यह रक्त को बाएं आलिंद से बाएं निलय में निर्देशित करता है।

अधिकारियों के अनुसार, श्रीनगर और दिल्ली के चिकित्सकों ने मरीज की उम्र और नाजुक स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए पारंपरिक सर्जरी से इनकार कर दिया और इसके बाद परिवार ने इलाज के लिए जयपुर के अस्पताल का रुख किया, जहां सर्जरी की गई।

आरएचएल हार्ट सेंटर के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र सिंह राव और उनकी टीम ने एक उन्नत ‘इलेक्ट्रोसर्जिकल’ तकनीक का उपयोग करके यह ऑपरेशन किया।

डॉ. राव ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘टीम ने एक महीन विद्युतीकृत तार व सटीक इलेक्ट्रोसर्जिकल उपकरणों का उपयोग करके खराब माइट्रल वाल्व के एक हिस्से को खोला और वहां नया वाल्व प्रत्यारोपित किया गया। यह प्रक्रिया मरीज की छाती को चीरा लगाए बिना की गई।’’

इसके अनुसार इस प्रक्रिया को अनौपचारिक रूप से बैटमैन प्रक्रिया कहा जाता है, क्योंकि माइट्रल वाल्व की मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए एक फुलाए हुए गुब्बारे वाले कैथेटर को रोगी की रक्त वाहिका में डाला जाता है। गुब्बारे का आकार बैटमैन की टोपी जैसा होता है इसलिए इस सर्जरी को बैटमैन प्रक्रिया कहा जाता है।

भाषा पृथ्वी खारी

खारी