घरेलू हिंसा अधिनियम: स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए न्यायालय ने की राज्यों की आलोचना

घरेलू हिंसा अधिनियम: स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए न्यायालय ने की राज्यों की आलोचना

घरेलू हिंसा अधिनियम: स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए न्यायालय ने की राज्यों की आलोचना
Modified Date: February 18, 2025 / 05:18 pm IST
Published Date: February 18, 2025 5:18 pm IST

नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने घरेलू हिंसा से संबंधित कानून के कार्यान्वयन के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आलोचना की और उन्हें जुर्माने के तौर पर 5,000 रुपये का भुगतान करते हुए चार सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ से याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।

पीठ ने कहा, “संबंधित राज्यों के वकीलों ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा है। इसलिए, उन्हें उच्चतम न्यायालय मध्यस्थता केंद्र को 5,000 रुपये जुर्माने का भुगतान करके स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार और सप्ताह दिए जाते हैं।”

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पीठ ने कहा कि आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और असम ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। केंद्र शासित प्रदेशों दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख तथा लक्षद्वीप ने भी स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, “5,000 रुपये का भुगतान करें और रिपोर्ट दाखिल करें। यदि आप रिपोर्ट दाखिल नहीं करते हैं, तो अगली बार जुर्माना दोगुना हो जाएगा।

पीठ ने मामले को 25 मार्च के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर 2024 के आदेश में कहा था कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के कार्यान्वयन के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।

इससे पहले 17 जनवरी को शीर्ष अदालत ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का समय 14 फरवरी तक बढ़ा दिया था।

भाषा जोहेब माधव

माधव


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