Gaurav Gogoi On DPDP Act: RTI एक्ट को कमजोर बना रही है मोदी सरकार का ये नया अधिनियम? कांग्रेस सांसद ने किया दावा, कह दी ये बड़ी बात

RTI एक्ट को कमजोर बना रही है मोदी सरकार का ये नया अधिनियम? DPDP Act of Modi government is weakening the RTI Act

Gaurav Gogoi On DPDP Act: RTI एक्ट को कमजोर बना रही है मोदी सरकार का ये नया अधिनियम? कांग्रेस सांसद ने किया दावा, कह दी ये बड़ी बात

Gaurav Gogoi On DPDP Act. Image Source- INC TV Video Grab

Modified Date: April 10, 2025 / 11:34 pm IST
Published Date: April 10, 2025 6:24 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम की धारा 43(3) को लेकर बड़ा बयान दिया।
  • 130 सांसदों ने इस धारा को हटाने के लिए याचिका पर हस्ताक्षर किए।
  • नए अधिनियम से आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(j) में बदलाव, जिससे सार्वजनिक हित का विषय हटा दिया गया है।

नई दिल्लीः Gaurav Gogoi On DPDP Act:  डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम की धारा 43(3) को लेकर कांग्रेस सांसद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि विपक्षी गठबंधन के 130 सांसदों ने इस धारा को हटाने की मांग को लेकर याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन एक्ट की धारा 43 सरकार को कानून के प्रभावी प्रवर्तन या निष्पादन में बाधा डालने वाली किसी भी बाधा को दूर करने का अधिकार देती है।

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Gaurav Gogoi On DPDP Act:  उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्ट 2005 लोगों को सशक्त बनाने के लिए लाया गया था। हालांकि डीडीपीए की एक धारा से लोगों के अधिकार और मीडिया की स्वतंत्रता को छीनने की कोशिश की गई है। गौरव गोगोई का कहना है कि विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को नहीं माना गया। मणिपुर पर अविश्वास प्रस्ताव के बीच इसे 2023 में पारित करा लिया गया। हम तब से इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में लोकसभा में सिविल सोसाइटी संगठन, गठबंधन के दलों और नागरिक समाज ने राहुल गांधी से मिलकार यह मुद्दा उठाया था।

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बता दें कि डीपीडीपी अधिनियम को संसद में पारित होने के बाद 11 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। हालांकि यह अभी लागू नहीं हुआ है। अधिनियम के तहत नियमों अधिसूचित करने के बाद इसे लागू किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44 (3) में आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (j) में बदलाव की बात कही गई है। इसपर आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे 2005 के अधिनियम के तहत मिलने वाली जानकारी कम हो जाएगी। आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(j) व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक करने से छूट प्रदान करती है। हालांकि इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक हित में होने पर यह नियम लागू नहीं होता। नए अधिनियम से इसमें बदलाव किया गया है और सार्वजनिक हित का विषय हटा दिया गया है। इसे बदलकर ‘व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है’ कर दिया गया है।

 


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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।