नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने मंगलवार को सरकार से अनुरोध किया कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में उस मसौदा संशोधन को वापस लिया जाए जिसके तहत सोशल मीडिया मंचों के लिए पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की तथ्यान्वेषी (फैक्ट चैकिंग) इकाई द्वारा फर्जी घोषित खबर या सूचना को हटाना जरूरी होगा।
आईएनएस ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से हितधारकों के साथ विचार-विमर्श शुरू करके ऐसी प्रणाली बनाने को कहा जिससे मीडिया साइटों पर सरकार के कामकाज के बारे में खबरों की तथ्यात्मक वास्तविकता सुनिश्चित हो और निष्पक्षता के सर्वोच्च मानकों का पालन किया जाए।
उसने कहा कि परिभाषा के अनुसार, सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में पीआईबी की भूमिका सरकार के कार्यक्रमों, पहलों और उपलब्धियों के बारे में सूचनाएं प्रसारित करना है।
मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ‘सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश तथा डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021’ में मसौदा संशोधन जारी किये थे। इसमें सोशल मीडिया मंचों को यह निर्देश जारी करने का प्रस्ताव है कि वे पीआईबी की फैक्ट चैकिंग इकाई द्वारा फर्जी करार दी गयी खबर या सूचना को हटा लें।
आईएनएस ने कहा कि इन संशोधनों से केंद्र सरकार से संबंधित बयानों की जांच करने की जिम्मेदारी उसकी अपनी एजेंसी की होगी जो उसे कानून की शक्ति प्रदान करेगी।
उसने कहा, ‘‘अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश बनने के लिए कानून बनाकर, सरकार नियमों के एक सेट में प्रस्तावित संशोधन के माध्यम से, जो अन्यथा भी चिंता का कारण बनता है, प्रभावी रूप से आलोचना और यहां तक कि निष्पक्ष टिप्पणी को दबाने के लिए कदम उठा रही है।’’
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, डिजिपब फाउंडेशन ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन जैसे मीडिया संगठनों ने भी सरकार से संशोधन को वापस लेने की मांग की है।
भाषा वैभव मनीषा
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