केआईआईएफबी को नोटिस पर रोक के खिलाफ ईडी की अपील, केरल उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा
केआईआईएफबी को नोटिस पर रोक के खिलाफ ईडी की अपील, केरल उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा
कोच्चि, 19 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मसाला बॉन्ड मामले में केआईआईएफबी को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के संबंध में आगे की कार्यवाही पर रोक के खिलाफ ईडी की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति पी वी बालकृष्णन की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड’ (केआईआईएफबी) से पूछा कि वह कारण बताओ नोटिस का जवाब क्यों नहीं दे सकता।
पीठ ने कहा, ‘‘जब एक वैधानिक प्राधिकार है, तो हमें यह सब जांचने की क्या जरूरत है। जवाब दाखिल करने और फैसला सुनाने वाले प्राधिकार के फैसले का इंतजार करने में क्या दिक्कत थी? उन्होंने यह नहीं कहा है कि आपने (केआईआईएफबी ने) कोई अपराध किया है। वे पूछ रहे हैं कि आपके खिलाफ कार्यवाही शुरू क्यों नहीं की जानी चाहिए।’’
अदालत ने ईडी से यह भी पूछा कि जब कोई फैसला नहीं हुआ है, तो कारण बताओ नोटिस के स्तर पर उसने ‘पहले से ही फैसला’ कैसे कर लिया और जुर्माने की रकम कैसे तय कर ली।
पीठ ने कारण बताओ नोटिस में अंकित 466.91 करोड़ रुपये की रकम का जिक्र किया।
यह नोटिस केआईआईएफबी और उसके अधिकारियों द्वारा फेमा के प्रावधानों तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ‘मास्टर डायरेक्शन’ के कथित उल्लंघन से संबंधित है, जिसकी रकम 466.91 करोड़ रुपये है।
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एआरएल सुंदरेशन ने साफ किया कि कारण बताओ नोटिस में किसी रकम का जिक्र नहीं है और सिर्फ यह पूछा गया है कि एक शिकायत के संबंध में कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए, जिसमें दावा किया गया है कि फेमा के प्रावधानों का 467 करोड़ रुपये का शुरुआती उल्लंघन हुआ है।
पीठ के ये सवाल ईडी की अपील की सुनवाई के दौरान आए, जिसे वकील जयशंकर वी नायर के ज़रिए दायर किया गया था। यह अपील 16 दिसंबर के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ थी, जिसमें कारण बताओ नोटिस के बाद की सभी आगे की कार्यवाही पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी गई थी।
भाषा वैभव नेत्रपाल
नेत्रपाल

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