वैचारिक लड़ाई का मुकाबला करने के लिए युवा पीढ़ी को शिक्षित करना जरूरी: मौलना अरशद मदनी

वैचारिक लड़ाई का मुकाबला करने के लिए युवा पीढ़ी को शिक्षित करना जरूरी: मौलना अरशद मदनी

वैचारिक लड़ाई का मुकाबला करने के लिए युवा पीढ़ी को शिक्षित करना जरूरी: मौलना अरशद मदनी
Modified Date: December 15, 2025 / 09:12 pm IST
Published Date: December 15, 2025 9:12 pm IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ कथित रूप से सांप्रदायिक तत्वों द्वारा फैलाई जा रही गलतफहमियों का मुकाबला करने के लिए शिक्षा जरूरी है।

संगठन की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के मुताबिक, मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को जिस तरह “मुफ्ती” और हाफिज़ों की जरूरत है, उसी तरह डॉक्टर, इंजीनियर आदि की भी आवश्यकता है।

‘मुफ्ती’ इस्लामी कानून के विशेषज्ञ होते हैं और धार्मिक प्रश्नों पर फतवा देने का अधिकार रखते हैं जबकि हाफिज वे होते हैं जिन्हें कुरान कण्ठस्थ होती है।

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उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में जिस प्रकार की ‘धार्मिक और वैचारिक लड़ाई’ अब शुरू हो चुकी है, उसका मुकाबला नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा से सुसज्जित करने से किया जा सकता है।

मौलाना मदनी ने कहा कि नई पीढ़ी को इस योग्य बनाया जाए कि वे अपने ज्ञान के हथियार से इस वैचारिक संघर्ष में विरोधियों को पराजित करें और उन मंज़िलों को हासिल कर सकें, जिन तक “हमारी पहुंच को राजनीतिक रूप से सीमित और अत्यंत कठिन बना दिया गया है।”

बयान के मुताबिक, मदनी ने यह टिप्पणियां जमीयत उलेमा-ए-हिंद के यहां केंद्रीय कार्यालय में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए शैक्षणिक छात्रवृत्तियों की घोषणा करने के बाद की।

इसमें कहा गया है कि जमीयत और एम.एच.ए. मदनी चैरिटेबल ट्रस्ट, देवबंद 2012 से मेधा के आधार पर चयनित निर्धन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है जिसके तहत तकनीकी एवं पेशेवर कार्यक्रम में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमज़ोर ऐसे छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है जिन्होंने पिछले वर्ष की परीक्षा में न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों।

मौलाना मदनी ने संपन्न मुस्लिमों से स्कूल-कॉलेज खोलने की गुजारिश करते हुए कहा कि ऐसे शैक्षणिक संस्थानों को आदर्श संस्थान बनाने का प्रयास होना चाहिए, ताकि उनमें ग़ैर-मुस्लिम अभिभावक भी अपने बच्चों को पढ़ाने को प्राथमिकता दें।

उन्होंने कहा कि इससे न केवल आपसी मेल-जोल और भाईचारा बढ़ेगा, बल्कि उन गलतफहमियों का भी अंत होगा “जो मुसलमानों के विरुद्ध सांप्रदायिक तत्वों द्वारा योजनाबद्ध तरीक़े से फैलाई जा रही हैं।”

भाषा नोमान प्रशांत

प्रशांत


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