नई दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) कोविड-19 महामारी के फैलने के दो वर्ष पूरा होने के बावजूद इस खतरनाक वायरस के खिलाफ कारगर उपाय टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना ही है। कई दवाएं एवं अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया गया लेकिन अभी तक कोई ठोस उपचार सामने नहीं आया है।
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देश में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था जब वुहान विश्वविद्यालय में मेडिकल की तीसरी वर्ष की छात्रा कोविड-19 से संक्रमित पाई गई थी। सेमेस्टर छुट्टियों के बाद वह घर लौटी थी। इसके बाद भारत में कोविड-19 की तीन लहर आई, लेकिन इस दौरान उपचार का तरीका एक जैसा रहा। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 का चाहे जो भी स्वरूप हो, लेकिन कोविड-19 प्रबंधन के लिए ‘जांच-निगरानी-उपचार-टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन’ ही पुख्ता रणनीति है।
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कोविड-19 से निपटने के लिए हाल में कई तरह के उपचार का प्रयोग हुआ लेकिन अभी तक उपचार का कोई व्यापक स्वीकार्य तरीका नहीं है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने हाल में एक संवाददाता सम्मेलन में दवाओं के ‘‘अत्यधिक इस्तेमाल एवं दुरूपयोग’’ पर चिंता जताई थी।
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देश में कोविड-19 के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी, रेमडेसिविर, डीआरडीओ के कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) और हाल में मोलनुपिराविर का इस्तेमाल किया गया लेकिन कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए कोई पुख्ता दवा नहीं मिली। कोविड-19 और इसके हालिया स्वरूप ओमीक्रोन से निपटने के लिए टीकाकरण ही सबसे कारगर साबित हो रहा है। उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक डॉ. सुचिन बजाज ने कहा कि न केवल कोविड-19 बल्कि ठंड से जुड़ी बीमारियों का मुकाबला करने में आयुष की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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बजाज ने कहा, ‘‘फेफड़ा की क्षमता बढ़ाने और मजबूती बढ़ाने के लिए योग में कई तरह के आसन हैं। साथ ही मस्तिष्क को शांति देने के लिए ध्यान का बड़ा महत्व है क्योंकि हमने देखा है कि भय, चिंता और निराशा कोविड-19 के साथ ही साथ आते हैं।’’
जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट के मुख्य योग अधिकारी डॉ. राजीव राजेश ने कहा कि मानव शरीर में संरक्षण, स्व-विनियमन, मरम्मत और अस्तित्व बनाए रखने की स्वाभाविक क्षमता होती है लेकिन नियमित चुनौतियों से निपटने में ‘‘कुछ अतिरिक्त’’ की जरूरत होती है। इसके लिए योग से मदद मिलती है।
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