नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) पंजाब के मोहाली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1992 में एक व्यक्ति की न्यायेतर हत्या के मामले में अमृतसर के झब्बाल पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी को शनिवार को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मामले में एक अन्य आरोपी तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक अशोक कुमार शर्मा की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके खिलाफ आरोप हटा दिए गए।
झब्बाल पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह को बलविंदर सिंह की न्यायेतर हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।
वर्ष 1995 में, उच्चतम न्यायालय ने पंजाब पुलिस के अधिकारियों द्वारा की गई कथित न्यायेतर हत्याओं और शवों को ‘लावारिस’ के रूप में अंतिम संस्कार की घटनाओं की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया था। इसके बाद, एजेंसी ने मामला दर्ज किया।
पूछताछ के दौरान, बलविंदर सिंह की पत्नी ने आरोप लगाए कि उनके पति को चार अक्टूबर 1992 को झब्बाल की एक पुलिस टीम ने अवैध रूप से पकड़ लिया था, उनकी हत्या कर दी गई और उनके शव का ‘लावारिस’ के रूप में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इसके बाद सीबीआई ने शर्मा, अमरजीत सिंह और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 16 सितंबर, 1999 को आरोपी अशोक कुमार शर्मा और अमरजीत सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। 28 फरवरी, 2000 को दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। मुकदमे के दौरान अशोक शर्मा की मृत्यु हो गई और उनके खिलाफ आरोप हटा दिए गए।’’
करीब 22 साल की सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने अमरजीत सिंह को दोषी करार दिया।
भाषा शफीक माधव
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