अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन में जांच की

अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन में जांच की

अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन में जांच की
Modified Date: October 1, 2024 / 08:48 pm IST
Published Date: October 1, 2024 8:48 pm IST

कोयंबटूर (तमिलनाडु), एक अक्टूबर (भाषा) कोयंबटूर जिले के पुलिस अधीक्षक के. कार्तिकेयन और जिला समाज कल्याण अधिकारी आर अंबिका ने ईशा फाउंडेशन में महिलाओं को गुमराह कर रखने के आरोपों की मंगलवार को जांच की।

यह कदम मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को दिए गए निर्देश के बाद उठाया गया है, जिसमें वेल्लियनगिरी तलहटी में स्थित फाउंडेशन से संबंधित मामलों का जिक्र करते हुए वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों ने फाउंडेशन के लोगों से पूछताछ की।

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कोयंबटूर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

अपनी याचिका में कामराज ने आरोप लगाया कि उनकी दो बेटियों को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ कोई संपर्क नहीं बनाने दिया।

जवाब में, ईशा फाउंडेशन ने इस बात से इनकार किया कि वह ब्रह्मचारी बनने की वकालत करता है या लोगों से शादी करने के लिए कहता है, क्योंकि ये व्यक्तिगत पसंद हैं।

फाउंडेशन ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता के मार्ग पर लाने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क मनुष्यों के पास अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है।’’

फाउंडेशन ने दावा किया कि याचिकाकर्ता और अन्य लोगों ने फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में जांच करने के लिए तथ्यान्वेषण समिति होने का झूठा बहाना बनाकर परिसर में जबरन घुसने की कोशिश की और उन्होंने फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई है। उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी थी।

भाषा आशीष वैभव

वैभव


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