गहलोत नहीं लड़ेंगे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव, राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर एक-दो दिनों में फैसला करेंगी सोनिया

गहलोत नहीं लड़ेंगे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव, राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर एक-दो दिनों में फैसला करेंगी सोनिया

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  • Publish Date - September 29, 2022 / 11:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

नयी दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में पिछले दिनों कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और संबंधित घटनाक्रम के लिए बृहस्पतिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और खुद को पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से अलग कर लिया।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनावी मुकाबले में फिलहाल शशि थरूर और दिग्विजय सिंह नजर आ रहे हैं। हालांकि किसी तीसरे उम्मीदवार के भी मैदान में उतरने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

सूत्रों का कहना है कि मल्लिकार्जुन खड़गे या किसी अन्य दलित चेहरे को भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

सोनिया गांधी के आवास ‘10 जनपथ’ पर उनसे मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में फैसला कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी।

गहलोत की सोनिया से मुलाकात के कुछ घंटे बाद उनके चिर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी 10 जनपथ पहुंचे। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पायलट ने कहा कि राजस्थान के घटनाक्रम को लेकर उन्होंने अपनी भावनाओं एवं फीडबैक से कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत करा दिया और उम्मीद जताई कि सोनिया गांधी सकारात्मक निर्णय लेंगी।

राजस्थान से जुड़े सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के संदर्भ में सोनिया गांधी अगले एक-दो दिन में फैसला करेंगी।

पार्टी की राजस्थान इकाई में संकट पैदा होने के बाद गहलोत और पायलट सोनिया गांधी से मिले। पायलट से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी अपने आवास से बाहर निकलीं, हालांकि यह पता नहीं चल सका कि वह कहां जा रही हैं।

गहलोत के खुद को अध्यक्ष पद की दौड़ से अलग करने के बाद फिलहाल दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के रूप में दो उम्मीदवार सामने आए हैं, हालांकि कोई अन्य नाम सामने आने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

सिंह और थरूर शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे। दिग्विजय सिंह ने आज नामांकन पत्र लिया और थरूर पहले ही नामांकन पत्र मंगवा चुके हैं। शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है।

उधर, राजस्थान में सियासी संकट के बीच गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया। मुझे जो दुख है वह मैं ही जान सकता हूं। पूरे देश में यह संदेश गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है। दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया। मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं, लेकिन यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा। मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने तय किया है कि इस माहौल के अंदर अब चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह मेरा फैसला है।’’

गहलोत के अनुसार, राहुल गांधी यात्रा पर निकले हैं और वह शांति, सद्भाव और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राहुल जी से कहा था कि वह पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ें। उन्होंने अस्वीकार कर दिया। फिर मैंने कहा था कि चुनाव लड़ूंगा। लेकिन अब मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा।’’

उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि इस बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी।

कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने यहां जोधपुर हाउस में गहलोत से मुलाकात की तो सुबह के समय वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी से मुलाकात की।

उधर, कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति के प्रमुख एके एंटनी ने समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर के साथ केरल भवन में बैठक की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात की।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की गई और नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए 24 सितंबर से 30 सितंबर तक का समय नियत किया गया है। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे।

वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है। गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे।

पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये।