Gandhi Shanti Puraskar: उर्दू बाजार से शुरू हुआ था कारोबार, अब मिल रहा ‘गांधी शांति पुरस्कार’, जानिए गीता प्रेस गोरखपुर का इतिहास

Gandhi Shanti Puraskar उत्तर प्रदेश की गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है।

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  • Publish Date - June 19, 2023 / 01:05 PM IST,
    Updated On - June 19, 2023 / 01:06 PM IST

Gandhi Shanti Puraskar : नई दिल्ली। भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश की गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है। गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर महात्मा गांधी द्वारा बनाए आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में दिया जाता है। ये 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है।

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गीता प्रेस ने बनाया नया रिकॉर्ड

गांधी शांति अवार्ड महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर बाबू द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को श्रद्धांजलि के तौर पर 1995 में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक सालाना अवार्ड है। इस अवार्ड के तहत एक करोड़ रुपए की रकम, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की जाती है। पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए खुला है। बता दें कि साल 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक मानी जाती है। इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें पब्लिश करके नया रिकार्ड बनाया है। इनमें से 16.21 करोड़ श्रीमद्भगवद्गीता की कॉपियां शामिल हैं।

गीता प्रेस की स्थापना को हुए पूरे 100 वर्ष

गांधी शांति पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग से इतर किसी को भी दिया जा सकता है। गांधी शांति पुरस्कार में 1 करोड़ रुपए की राशि के साथ एक प्रशस्ति पत्र के साथ और भी कई चीजें दी जाती हैं। खास बात यह है कि इसी साल गीता प्रेस ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे किए हैं।

गीता प्रेस को ‘गांधी शांति पुरस्कार’ दिये जाने के ऐलान के बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बधाई दी है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य के गोरखपुर स्थित ‘गीता प्रेस’ को साल 2021 के ‘गांधी शांति पुरस्कार’ के लिए चुने जाने पर मुबारकबाद पेश की। सीएम ने एक ट्वीट में कि कहा, “भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को साल 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ प्राप्त होने पर दिल से बधाई।”

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उर्दू बाजार में किराए के कमरे में शुरू हुई थी छपाई

Gandhi Shanti Puraskar : संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयदंका ने गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना कर कोलकाता में सत्संग शुरू कर दिया था। उस समय गीता सर्वसुलभ नहीं थी। इसलिए उन्होंने शुद्ध व सस्ती गीता छपवाकर लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की। पुस्तक छपने के दौरान उन्होंने इतनी बार संशोधन किया कि प्रेस मालिक हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और कहा कि इतनी शुद्ध गीता छपवानी है तो अपना प्रेस लगवा लीजिए।

सेठजी ने उसकी बात को भगवान की इच्छा मानी और दूसरे दिन यह बात अपने सत्संग में रखी। उस समय गोरखपुर के घनश्याम दास जालान व महावीर प्रसाद पोद्दार भी उपस्थित थे। घनश्याम दास जालान ने कहा कि सेठ जी, यदि गोरखपुर में प्रेस लगे तो उसकी संभाल मैं कर लूंगा।

इसके बाद यहां 1923 में उर्दू बाजार में 10 रुपये मासिक किराये पर एक कमरा लिया गया। वहीं वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के दिन 29 अप्रैल को गीता की छपाई शुरू हुई थी। जुलाई 1926 में 10 हजार रुपए में साहबगंज के पीछे एक मकान खरीदा गया जो आज गीताप्रेस का मुख्यालय है। धीरे-धीरे परिसर का विस्तार हुआ। दो लाख वर्ग फीट में फैले इस परिसर में 1.45 लाख वर्ग फीट में प्रेस व शेष में मकान व दुकानें हैं।

 

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