सरकार ऐसा कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिससे भारत में ही हवाई जहाज बनेंगे : नायडू
सरकार ऐसा कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिससे भारत में ही हवाई जहाज बनेंगे : नायडू
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को कहा कि विमानों की उपलब्धता और आपूर्ति विमानन क्षेत्र की सबसे गंभीर समस्या है तथा वह एक ऐसा कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिससे भविष्य में अपने देश में ही हवाई जहाज बन सकेंगे।
नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने लोकसभा में कांग्रेस सदस्य शफी परम्बिल के निजी संकल्प पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विमानन क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या निर्माण क्षेत्र में गिनी-चुनी कंपनियों का मौजूद होना और बढ़ती मांगों के अनुरूप इनकी आपूर्ति संभव नहीं हो पाना है।
नायडू ने कहा कि सरकार ऐसे कार्यक्रम पर विचार कर रही है, जिससे भारत में ही विमान बनाये जा सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास भारत निर्मित विमान भी होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रूसी सुखोई एसजे-100 एक यथोचित कंपनी है, और हम इससे बातचीत कर रहे हैं। एचएएल (हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक लिमिटेड) के जरिये इसके साथ सहमति ज्ञापन पर बातचीत चल रही है, ताकि हम टेक्नॉलोजी यहां ला सकें और विमान यहीं बन सके।’’
उन्होंने विमान निर्माता कंपनी एम्ब्रेयर का भी जिक्र करते हुए कहा कि सरकार इससे भी बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इम्ब्रेयर से बात कर रहे हैं और उसे यहां अपनी निर्माण इकाई लगाने का अनुरोध कर रहे हैं, ताकि हवाई जहाज का निर्माण भारत में ही हो सके।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विमानन क्षेत्र में लीज पर हवाई जहाज लेने की परंपरा है और भारत को आयरलैंड, अरब और सिंगापुर की तरह एक लीज हब बनाने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने विमानन क्षेत्र में रखरखाव को भी किराये में बढ़ोतरी के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बताया। उन्होंने कहा कि हवाई जहाज के रखरखाव के लिए आवश्यक सुविधा यहां उपलब्ध नहीं होने के कारण इसे विदेश भेजा जाता है और इस पर आने वाली लागत भी यात्रियों पर ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पड़ता है, लेकिन सरकार देश में ही ज्यादा से ज्यादा रखरखाव संयंत्र लगाने की दिशा में बढ़ रही है तथा हैदराबाद में इस तरह का एक संयंत्र लगाया जा चुका है, जहां साल में 300 विमानों का रखरखाव सुनिश्चित किया जा सकता है।
नायडू ने कहा कि उड़ान योजना के तहत मार्गों की संख्या बढ़ाये जाने से हवाई जहाज की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में विमान यात्रियों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास विमान किराया में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने की स्थिति में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश होती है और कोरोना, महाकुंभ, पहलगाम हमले और इंडिगो संकट के दौरान सरकार ने हस्तक्षेप करके किराये की अधिकतम सीमा निर्धारित की।
उन्होंने कहा कि विभिन्न मार्गों के शुरू होने से देश में विभिन्न एयरलाइन्स के द्वार खुले हैं और उन्होंने करीब 18 महीने के अपने कार्यकाल में तीन एयरलाइन्स को मंजूरी दी है तथा दो और एयरलाइन्स को मंजूरी दिये जाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सदन को आश्वस्त करते हैं कि देश में अधिक से अधिक एयरलाइन्स अपनी सेवाएं देंगी।
केंद्रीय मंत्री ने विमान यात्रियों के लिए किराये में राहत की खातिर राज्य सरकारों से अपील की कि वे विमान ईंधन पर लगाये गये कर में कटौती करें।
मंत्री के जवाब से संतुष्ट कांग्रेस सांसद परम्बिल ने अपना निजी संकल्प वापस ले लिया।
भाषा सुरेश सुरेश अविनाश
अविनाश

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