सिर्फ मुफ्त टीकाकरण को प्राथमिकता दे सरकार, जरूरत हो तो संसद से अतिरिक्त बजट की अनुमति ले : कांग्रेस | Government to give priority to free immunization only, take additional budget permission from Parliament if needed: Congress

सिर्फ मुफ्त टीकाकरण को प्राथमिकता दे सरकार, जरूरत हो तो संसद से अतिरिक्त बजट की अनुमति ले : कांग्रेस

सिर्फ मुफ्त टीकाकरण को प्राथमिकता दे सरकार, जरूरत हो तो संसद से अतिरिक्त बजट की अनुमति ले : कांग्रेस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : June 8, 2021/9:03 am IST

नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) कांग्रेस ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए राज्यों को केंद्र की ओर से टीका मुफ्त उपलब्ध कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा में ‘पारदर्शिता की कमी’ का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार इस वक्त देश में रोजाना टीकों की 80 लाख खुराक दिए जाने को प्राथमिकता देनी चाहिए और निजी अस्पतालों में भी लोगों को मुफ्त टीका मिलना चाहिए।

पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्र पर ‘हेडलाइन आधारित सरकार’ होने का आरोप भी लगाया और यह आग्रह किया कि राज्यों को टीके के आवंटन का मापदंड तय किया जाए, ‘कोविन’ पंजीकरण की अनिवार्यता निजी अस्पतालों के लिए भी खत्म की जाए और अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ने पर संसद का सत्र बुलाकर अनुमति ली जाए।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के टीकाकरण के लिए राज्यों को 21 जून से मुफ्त टीका उपलब्ध कराया जाएगा और आने वाले दिनों में टीकों की आपूर्ति में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की जाएगी।

उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में यह ऐलान भी किया कि कुल टीके में 75 प्रतिशत की खरीद सरकार करेगी और 25 फीसदी अब भी निजी अस्पतालों को मिलेंगे, लेकिन वे प्रति खुराक 150 रुपये से ज्यादा सेवा शुल्क नहीं ले सकेंगे।

रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें खुशी है कि मनमोहन सिंह, कांग्रेस, विपक्षी दलों की मांग और उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी के बाद प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की। उनकी घोषणा की यह पृष्ठभूमि है, लेकिन प्रधानमंत्री कभी सही पृष्ठभूमि जनता को नहीं बताते। वह जानकारियों को तोड़-मरोड़ कर रखते हैं।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जो घोषणा की है उस पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च होगा। सरकार ने टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये आवंटित है। सेंट्रल विस्टा पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। सरकार के पैसे की कमी नहीं है, प्राथमिकता की कमी है।’’

उन्होंने सरकार से आग्रह किया, ‘‘इस वक्त सिर्फ टीकाकरण की प्राथमिकता देनी चाहिए। संसद का सत्र बुलाइए, समितियों की बैठक बुलाइए। टीकाकरण के अतिरिक्त बजट की अनुमति लीजिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने मुफ्त टीकाकरण और केंद्र की ओर से टीकों की खरीद की बात की, लेकिन यह भी कहा कि 25 प्रतिशत टीके निजी अस्पतालों को दिया जाएगा। यह नहीं बताया कि निजी अस्पतालों को किस मूल्य और किस आधार पर टीके दिए जाएंगे?’’

रमेश ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि सरकारी और निजी अस्पतालों दोनों में टीकाकरण मुफ्त होना चाहिए। सभी भारतवासियों को मुफ्त टीकाकरण की सुविधा मिलनी चाहिए।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘निजी अस्पतालों को 25 प्रतिशत टीके देना खतरनाक है। यह देश और देशावासियों के हित में नहीं है।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ‘कोविन’ पंजीकरण की अनिवार्यता को लेकर कहा, ‘‘हमने कई बार कहा कि यह अनिवार्य नहीं होना चाहिए कि देश में बहुत सारे लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है। सरकार ने मांग सुनी, लेकिन पूरा नहीं सुनी। अभी सरकारी अस्पतालों में पंजीकण अनिवार्य नहीं है, लेकिन निजी अस्पताल के लिए है। हम फिर से कहना चाहते हैं कि सभी जगह कोव-विन पंजीकरण अनिवार्य नहीं होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि राज्यों को टीका के आवंटन का मापदंड आज भी पता नहीं है। हम मांग करते हैं कि केंद्र और राज्य मिलकर ये मापदंड तय करें। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि आवंटन में पारदर्शिता हो और कोई भेदभाव नहीं हो।’’

रमेश ने कहा, ‘‘सरकार के कई मंत्रियों ने कहा है कि दिसंबर तक 100 करोड़ भारतवासियों को टीकाकरण हो जाएगा। सरकार के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल के महीने में हर दिन टीकों की 30 लाख खुराक दी गई थी। लेकिन मई में 16 लाख खुराक प्रतिदिन दी गई। सात जून को फिर से 30 लाख खुराक दी गई।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘अगर हमें दिसंबर तक 100 करोड़ भारतवासियों का टीकाकरण करना है तो प्रतिदिन करीब हमें करीब 80 लाख खुराक देनी पड़ेगी। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और सवास्थ्य मंत्री जनता को विश्वास दिलाएंगे कि रोजाना 80 लाख खुराक टीके दिए जाएंगे’’

रमेश ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘डेडलाइन आधारित’ नहीं, ‘बल्कि हेडलाइन आधारित’ है।

भाषा हक हक शाहिद

शाहिद

 

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