‘हाथों में हथकड़ी, पैरों में जंजीरें’; अमेरिका से निर्वासित व्यक्ति ने सुनाई दर्दनाक आपबीती |

‘हाथों में हथकड़ी, पैरों में जंजीरें’; अमेरिका से निर्वासित व्यक्ति ने सुनाई दर्दनाक आपबीती

‘हाथों में हथकड़ी, पैरों में जंजीरें’; अमेरिका से निर्वासित व्यक्ति ने सुनाई दर्दनाक आपबीती

Edited By :  
Modified Date: February 16, 2025 / 09:11 PM IST
,
Published Date: February 16, 2025 9:11 pm IST

चंडीगढ़/होशियारपुर, 16 फरवरी (भाषा) अमेरिका से शनिवार रात अमृतसर भेजे गए निर्वासितों में शामिल दलजीत सिंह ने रविवार को दावा किया कि यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ियां पहनाई गई थीं और उनके पैरों में जंजीरें डाली गई थीं।

दलजीत सिंह अपने परिवार के बेहतर भविष्य की चाहत में पिछले वर्ष पंजाब के अपने पैतृक गांव को छोड़कर अमेरिका गए थे।

पंजाब के होशियारपुर जिले के कुराला कलां गांव के मूल निवासी सिंह उन 116 अवैध भारतीय प्रवासियों में शामिल हैं जिन्हें अमेरिकी विमान से शनिवार रात अमृतसर हवाई अड्डे लाया गया।

दलजीत ने अपने गृहनगर पहुंचने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरी यात्रा के दौरान हमारे पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियां पहनाई गई थीं। विमान में तीन महिलाएं और तीन बच्चे थे और उन्हें हथकड़ियां नहीं पहनाई गईं थीं।’’

उन्होंने कहा कि विमान के अमृतसर में उतरने से पहले उनके हाथों से हथकड़ियां हटा दी गई थीं।

अमेरिका से लाए गए निर्वासितों के दूसरे जत्थे में पंजाब से 65, हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से दो-दो तथा हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर से एक-एक व्यक्ति शामिल है।

सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें ‘डंकी’ (अवैध) मार्ग से अमेरिका ले जाया गया था।

‘डंकी’ मार्ग वह अवैध और जोखिम भरा मार्ग है जिसका इस्तेमाल प्रवासी अमेरिका में प्रवेश करने के लिए करते हैं।

दलजीत ने अपने परिवार को बेहतर भविष्य देने की कोशिश में ऐसी दुर्गम यात्रा शुरू की, लेकिन अंत में उन्हें भारत वापस भेज दिया गया।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि उनके गांव के एक व्यक्ति ने 2022 में उन्हें एक ट्रैवल एजेंट से मिलवाया और उसने दलजीत को कानूनी प्रक्रियाओं के तहत अमेरिका भेजने का आश्वासन दिया था और इसके बदले 65 लाख रुपये लिए थे।

दलजीत ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और एजेंट को अपनी एक एकड़ जमीन का अग्रिम अनुबंध सौंप दिया।

सिंह पहले खेती करते थे, लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन नहीं दे पा रहे थे। वह अपनी किस्मत बदलने की उम्मीद में जोखिम उठाने और भारत छोड़ने के लिए तैयार हो गये।

दलजीत की यात्रा नवंबर 2022 में शुरू हुई जब उन्हें पहली बार दुबई भेजा गया था। हालांकि, वहां करीब 18 महीने बिताने के बाद वह भारत लौट आये थे।

उन्हें ‘डंकी’ मार्ग के जरिए अमेरिका भेजने के लिए पिछले वर्ष 26 अगस्त को मुंबई से ब्राजील भेजा गया था।

दलजीत ने बताया कि ब्राजील और दूसरे देश में करीब एक-एक महीना बिताने के बाद उन्होंने पैदल और टैक्सी के जरिए कठिन इलाकों को पार किया। पनामा को पार करने में उन्हें तीन दिन लगे। दलजीत को नदियां, नाले और पहाड़ों को पार करना पड़ा।

दलजीत ने बताया कि उन्होंने यात्रा का कुछ हिस्सा जहाज से पूरा किया और फिर मैक्सिको पहुंचे।

उन्होंने बताया कि भोजन की कमी थी और कई बार तो उन्हें सिर्फ़ चावल खाकर ही गुजारा करना पड़ता था। दलजीत ने बताया कि उनके समूह में करीब 100 लोग थे, जिनमें आठ भारतीय भी शामिल थे।

सिंह को करीब एक महीने तक मैक्सिको में रहना पड़ा था। इस दौरान ट्रैवल एजेंट और उसके गांव के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर दलजीत पर उसकी साढ़े चार एकड़ जमीन का स्वामित्व उनके नाम करने का दबाव बनाया।

दलजीत ने बताया कि करीब एक महीने पहले उन्होंने उनकी (दलजीत) पत्नी से ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ भी ले ली, जिसके तहत जमीन का नियंत्रण उनके गांव के एक व्यक्ति को हस्तांतरित कर दिया गया।

दलजीत को 27 जनवरी को अवैध रूप से तिजुआना के रास्ते अमेरिकी सीमा के पार भेज दिया गया, जहां अमेरिकी सीमा की रक्षा कर रहे गश्ती दल के अधिकारियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और उससे कहा कि उसे निर्वासित कर दिया जाएगा।

दलजीत ने बताया कि उन्हें हिरासत केंद्र ले जाया गया और वहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। उन्हें अपने कमरे से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी और उन्हें बहुत कम खाना दिया जाता था, जिसमें सिर्फ़ एक बोतल पानी, एक पैकेट चिप्स और एक सेब मिलता था।

दलजीत ने सरकार से आग्रह किया कि वह उसे उसकी जमीन वापस दिलाने में मदद करे तथा धोखेबाज ट्रैवल एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

भाषा

प्रीति नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)