हनुमानगढ़ : इथेनॉल कारखाने का विरोध जारी, प्रशासन की आंदोलनकारियों से बातचीत
हनुमानगढ़ : इथेनॉल कारखाने का विरोध जारी, प्रशासन की आंदोलनकारियों से बातचीत
जयपुर, 12 दिसंबर (भाषा) राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में निर्माणाधीन इथेनॉल कारखाने के खिलाफ किसानों का विरोध प्रर्दशन शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रहा। प्रशासन ने मामले का समाधान निकालने के लिए प्रदर्शनकारी नेताओं से बातचीत की है।
अधिकारियों ने बताया कि इलाके में इंटरनेट सेवा बंद है और पुलिस ने बुधवार को तोड़फोड़ के सिलसिले में अब तक 107 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 40 लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।
प्रदर्शनकारियों की कोर कमेटी की बैठक शुक्रवार को टिब्बी गांव के गुरुद्वारे में होनी है। इस गुरुद्वारे में बुधवार को पुलिस से झड़प के बाद से ही सैकड़ों गांव वालों ने शरण ले रखी है।
हनुमानगढ़ के जिला कलेक्टर खुशाल यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आंदोलनकारियों से बातचीत चल रही है और हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं।
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें रखी हैं, जिसमें आंदोलनाकारियों को कोई सजा देने वाली कार्रवाई न करना भी शामिल है। हम मांगों पर गौर कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित इथेनॉल संयंत्र के पास पर्यावरणीय मंजूरी नहीं होने तथा उसे सिंचित भूमि दिए जाने जैसे मुद्दों की जांच की जाएगी।
इथेनॉल फैक्ट्री हटाओ संघर्ष समिति के नेता रवजोत सिंह ने कहा कि आंदोलन 16 महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था लेकिन अभी प्रशासन ने इसे दबाने की कोशिश तो यह और तेज हो गया।
सिंह ने मीडिया से कहा, ‘जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने हमारी आवाज को आला अधिकारियों तक जाने से रोका, इंटरनेट बंद कर दिया और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया।’
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संयंत्र को हटाए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।’ आसपास के कई गांववाले अपने घरों को ताला लगागर रिश्तेदारों के घर चले गए हैं।
ऑल इंडिया किसान सभा के जिला महासचिव मंगेज चौधरी ने आरोप लगाया, ‘पुलिस के हथियार जंग लगे हुए थे, नहीं तो वे सैकड़ों लोगों को मार देते’।
उन्होंने ऐलान किया कि किसान 17 दिसंबर को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे। वहीं सादुलशहर से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने बृहस्पतिवार रात किसानों से मुलाकात की।
हालांकि राज्य के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने आरोप लगाया कि इस आंदोलन के दौरान बुधवार को हुई हिंसा प्रायोजित थी।
पटेल ने कहा, ‘यह किसानों का आंदोलन नहीं था। राजस्थान के बाहर से आए करीब एक हजार लोगों ने हिंसा की। सरकार बातचीत के लिए तैयार है। विधिसम्मत मांगें मान ली जाएंगी, लेकिन कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।’
रवजोत सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रशासन नाकाम रहा और कारखाने इलाके में आग प्रदर्शनकारियों के वहां पहुंचने से पहले ही लग गई थी।
पुलिस का कहना है कि बाहरी लोगों ने अशांति भड़काई।
अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) वीके सिंह ने कहा, ‘बुधवार की हिंसक घटना पूरी तरह से अवांछित थी। कुछ बाहरी तत्वों ने स्थानीय लोगों को उकसाया जिससे यह घटना हुई।’
किसानों का यह भी आरोप है कि प्रस्तावित संयंत्र के लिए जमीन उपजाऊ खेतों को गलत तरीके से बंजर बताकर ली गई। एक स्थानीय किसान गुरपाल सिंह ने मीडिया से कहा कि कारखाने के इलाके वाली जमीन बहुत उपजाऊ है जहां सबसे अच्छा बासमती चावल पैदा होता है और भूमिगत जल 40-50 फुट पर ही मौजूद है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संयंत्र से होने वाले प्रदूषण से इसके आसपास की 70 बीघा ज़मीन बर्बाद हो जाएगी। एक और किसान बलराम सहारण ने आरोप लगाया कि कंपनी को तबादला होने से पहले जमीन का मालिकाना हक दो बार बदला गया था।
उन्होंने आगे कहा, ‘जमीन के इस्तेमाल का असली मकसद हमसे छिपाया गया। उन्होंने हस्तांतरण पर जोर देने से पहले इसे दो साल के लिए खेती के लिए लीज पर भी दे दिया।’
एक आंदोलनकारी नेता मान सिंह ने कहा कि प्रस्तावित इथेनॉल कारखाने को रोजाना 60 लाख लीटर ताजा पानी की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा, ‘एक लीटर इथेनॉल बनाने में बड़ी मात्रा में पीने लायक पानी खर्च होता है। प्रस्तावित कारखाना पेयजल, पर्यावरण और मिट्टी को बर्बाद कर देगी।’
यह संयंत्र चंडीगढ़ की ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड लगा रही है। यह अनाज आधारित यूनिट है।
अधिकारियों का दावा है कि प्रस्तावित कारखाने के लिए सभी मंजूरियां ले ली गई हैं।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन कारखाना स्थल पर धावा बोल दिया।
उन्होंने कथित तौर पर कंपनी की चारदीवारी तोड़ दी, साथ ही इसके कार्यालय और वहां खड़ी कई गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई।
पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे।
भाषा पृथ्वी नरेश रंजन
रंजन

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