ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितने देशों ने भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया : द्रमुक

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितने देशों ने भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया : द्रमुक

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितने देशों ने भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया : द्रमुक
Modified Date: July 29, 2025 / 05:18 pm IST
Published Date: July 29, 2025 5:18 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एक सदस्य ने राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितने देशों ने भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया।

राज्यसभा में द्रमुक के नेता तिरुचि शिवा ने ‘‘पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के मजबूत, सफल एवं निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा’’ में हिस्सा लेते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों के प्रतिनिधिमंडलों को दूसरे देशों में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रुख और भारत की कार्रवाई के बारे में बताने के लिए भेजा था।

उन्होंने कहा ‘‘हमें यह जानना है कि कितने देशों में भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया ? आज कितने देश भारत के साथ खड़े हैं ?’’

 ⁠

शिवा ने कहा कि राजनीतिक दलों ने देश की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए सारे मतभेद भुला कर सरकार को समर्थन दिया। उन्होंने कहा,‘‘ हमें यह जानने का हक है कि आखिर वह कैसी खुफिया नाकामी थी जिसके चलते 26 बेकसूर लोगों को पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछ-पूछ कर क्रूरता के साथ मौत के घाट उतार दिया’’।

उन्होंने कहा ‘‘पर्यटकों को उच्च सुरक्षा वाले हिस्से में कैसे जाने दिया गया ? वहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं थे ? इन सवालों के जवाब कौन देगा ?’’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद वहां के हालात में सुधार होने के दावों पर पहलगाम हमला सवाल उठाता है।

शिवा ने कहा कि रक्षा मंत्री ने कहा है कि परीक्षा के बाद परिणाम देखना चाहिए, न कि यह देखना चाहिए कि किसकी पेंसिल टूटी या पेन टूटा। उन्होंने कहा ‘‘यह देश की रक्षा से, उसकी सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। आतंकवादी आए दिन बेकसूर लोगों की जान लेते हैं। हमें इसे हल्के में नहीं ले सकते।’’

उन्होंने पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने पर कहा कि यह समस्या का सही समाधान नहीं है क्योंकि आम नागरिकों को निशाना बनाया जाना उचित नहीं है।

द्रमुक सदस्य ने कहा कि संसद में विपक्षी सदस्यों के सवाल उठाने पर और अपनी बात रखने पर सत्ता पक्ष के सदस्य जिस तरह व्यवधान डालते हैं, वह ठीक नहीं है। ‘‘क्या यह स्वस्थ लोकतंत्र है ? सबसे पहले तो बोलने ही नहीं दिया जाता। बोलने पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।’’

उन्होंने कहा कि चीन की ओर से सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि चीन एक विस्तारवादी देश है और भारत की जमीन का एक हिस्सा अब तक उसके कब्जे में है।

भाषा

मनीषा माधव

माधव


लेखक के बारे में