Bombay High Court: ‘पति के साथ सेक्स से इनकार करना क्रूरता’.. हाईकोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका, की थी इतने पैसों की मांग

Husband refused sex with wife, High Court called it cruelty

Bombay High Court: ‘पति के साथ सेक्स से इनकार करना क्रूरता’.. हाईकोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका, की थी इतने पैसों की मांग

Bombay High Court. Image Source- IBC24

Modified Date: July 19, 2025 / 04:43 pm IST
Published Date: July 19, 2025 4:42 pm IST
HIGHLIGHTS
  • शारीरिक संबंध से इनकार और झूठे आरोप मानसिक क्रूरता माने गए।
  • कोर्ट ने पत्नी की तलाक रोकने की याचिका खारिज कर दी।
  • भरण-पोषण की मांग भी अदालत ने अस्वीकार की।

मुंबईः Bombay High Court:  यदि पत्नी अपने पति को शारीरिक संबंध से इनकार करती है। फिर उस पर किसी और महिला से संबंध होने का शक करती है तो इसे क्रूरता माना जाएगा। यह टिप्पणी बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तलाक के एक केस की सुनवाई करते हुए की। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली महिला को राहत देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का उचित आधार है।

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Bombay High Court:  दरअसल, कपल की 2013 में शादी हुई थी। अगले ही साल दिसंबर 2014 से दोनों अलग रहे थे। पति ने 2015 में फैमिली कोर्ट में क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दी थी, जिसे मंजूरी मिल गई। पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और पति से 1 लाख रुपए प्रति महीने गुजारा भत्ता की मांग भी की थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा था- मेरे ससुराल वालों ने मुझे प्रताड़ित किया, लेकिन फिर भी मैं अपने पति से प्रेम करती हूं और तलाक नहीं चाहती। पति ने अपनी याचिका में कहा कि पत्नी ने शारीरिक संबंधों से इनकार किया और बेवफाई के आरोप लगाए। साथ ही परिवार, दोस्तों और कर्मचारियों के सामने शर्मिंदा किया। पति ने यह भी कहा कि पत्नी ने उसे छोड़कर अपने मायके चली गई थी। कोर्ट ने फैसले में कहा- शादी में अब सुलह की कोई संभावना नहीं है। पति के तलाक के आधार कानूनी रूप से जायज हैं। लिहाजा, पत्नी की याचिका को खारिज किया जाता है।

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हाईकोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी

अदालत ने कहा कि पति के कर्मचारियों के साथ पत्नी का व्यवहार, दोस्तों के सामने पति का अपमान और झूठे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा पहुंचाने वाले हैं और क्रूरता की श्रेणी में आते हैं। पति के साथ सेक्स संबंध से इनकार करना और दिव्यांग बहन के प्रति उदासीनता भी मानसिक यंत्रणा का कारण है।” इसलिए कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए महिला की अपील खारिज कर दी और 10,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण की मांग भी अस्वीकार कर दी।


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