लोकतंत्र को कायम रखना है तो इसका ‘धड़कता दिल’ विश्वविद्यालय परिसरों में होना चाहिए: सिंघवी

लोकतंत्र को कायम रखना है तो इसका ‘धड़कता दिल’ विश्वविद्यालय परिसरों में होना चाहिए: सिंघवी

लोकतंत्र को कायम रखना है तो इसका ‘धड़कता दिल’ विश्वविद्यालय परिसरों में होना चाहिए: सिंघवी
Modified Date: June 21, 2025 / 09:39 pm IST
Published Date: June 21, 2025 9:39 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने शैक्षणिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए ठोस कानूनी संरक्षण की पैरवी करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालयों को छात्रों को केवल रोजगार पाने के लिए नहीं, बल्कि संवाद करने के लिए भी तैयार करना चाहिए।

सिंघवी ने कहा कि लोकतंत्र को यदि जीवन पद्धति के रूप में कायम रखना है तो इसका ‘धड़कता हुआ दिल’ केवल संसद में नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों में भी होना चाहिए।

उन्होंने टोक्यो में ‘भविष्य के विश्वविद्यालय’ विषय पर एक व्याख्यान में जापानी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रशासकों, राजनयिकों, प्राध्यापकों और नागरिक समाज के सदस्यों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही की।

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यहां शनिवार को जारी एक बयान के अनुसार, राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘गलत सूचना का प्रसार, शैक्षणिक स्वतंत्रता का क्षरण और पेशेवर जीवन में बौद्धिक संकीर्णता ने कई शिक्षण परिसरों को विचारों की कब्रगाह में तब्दील कर दिया है।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘वह लोकतंत्र जो अपने छात्रों से डरता है, अपने भविष्य से डरना शुरू कर चुका है। सवालों को दबाना तटस्थता नहीं है, यह मिलीभगत है।’’

सिंघवी ने प्रत्येक विश्वविद्यालय से एक वार्षिक सामाजिक प्रभाव रिपोर्ट या सामाजिक संस्थागत उत्तरदायित्व कार्ड जारी करने का आग्रह किया जो सार्वजनिक सेवा और लोकतांत्रिक भागीदारी को मापता है।

भाषा हक सुभाष

सुभाष


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