राहु-केतु से पीड़ित है तो आज ही सूर्य देव को चढ़ाए ये चीज, सभी कष्ट हो जाएंगे दूर,

today Worship Surya dev : सूर्य ऐसे देव हैं जिन्हें साक्षात देखा जा सकता है। उनकी उपासना से सदा निरोगी रहने का वरदान प्राप्त होता है

राहु-केतु से पीड़ित है तो आज ही सूर्य देव को चढ़ाए ये चीज, सभी कष्ट हो जाएंगे दूर,

Ravivaar ko dhan prapti ke upaay

Modified Date: November 29, 2022 / 08:18 pm IST
Published Date: June 26, 2022 10:45 am IST

धर्म। today Worship Surya dev : सूर्यदेव को सभी ग्रहों में उत्तम माना जाता है। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से लाभ मिलता है। उनकी पूजा ग्रहों को ठीक करने के साथ ही शारीरिक तौर पर भी सक्षम बनाती है। सूर्य ऐसे देव हैं जिन्हें साक्षात देखा जा सकता है। उनकी उपासना से सदा निरोगी रहने का वरदान प्राप्त होता है। सूर्यदेव की उपासना से बड़े से बड़ा अशुभ टल जाता है।

today Worship Surya dev  : हर दिन सूर्य को जल चढ़ाने से कई कठनाईयों का समाधान हो जाता है। मान्यता है कि सभी देव सूर्यदेव का पूजन करते हैं। राम से लेकर रावण तक सभी सूर्य की उपासना करते रहे हैं ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की अराधाना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाए थे। सूर्य कुण्डली में आरोग्य शक्ति व पिता के कारक ग्रह होते हैं।

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राहु-केतु से पीड़ित है तो

जब जन्म कुण्डली में सूर्य के दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहे हों या फिर सूर्य हु-केतु से पीड़ित है तो सूर्य से संम्बधित उपाय करना लाभकारी रहता है। विशेष कर ये उपाय सूर्य गोचर में जब शुभ फल न दे रहा हों तो इनमें से कोई भी उपाय किया जा सकता है। सूर्य के उपाय करने पर अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ.साथ व्यक्ति में रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास होता है। इसके अलावा जब सूर्य दूसरे या द्वादश भाव पर हो या दृष्टि डाल रहा हो तो आँखों से सम्बन्धित रोग होता है और अगर सूर्य की दशा चले तो रोग उभरता है।

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today Worship Surya dev  सूर्य आँखों को पीडित कर रहा हों तब इनके उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी होती है। एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें चंदन, चावल तथा फूल (यदि लाल हो तो उत्तम है अन्यथा कोई भी रंग का फूल) लेकर प्रथम विधि में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया गया जल पैरों के नीचे न आए, इसके लिए तांबे अथवा कांसे की थाली रख लें।

थाली में जो जल एकत्र हो, उसे माथे पर, हृदय पर एवं दोनों बाहों पर लगाएं। विशेष कष्ट होने पर सूर्य के सम्मुख बैठकर आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्याष्टक का पाठ करें। सूर्य के सम्मुख बैठना संभव न हो तो घर के अंदर ही पूर्व दिशा में मुख कर यह पाठ कर लें।

सूर्य के वैदिक मन्त्र ऊॅ धृणि सूर्याय नमः का जाप भी लाभकारी होता है। इस मन्त्र का जाप प्रतिदिन भी किया जा सकता है तथा प्रत्येक रविवार के दिन यह जाप करना विशेष रुप से शुभ फल देता है। सूर्य पूजा, उपासना, दान और मंत्रजाप स्वास्थ्य, यश और समृद्धि प्रदाता माना जाता है।

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