sewer cleaning: नई दिल्ली। सीवर की सफाई के दौरान लगातार सफाई कर्मियों के मौत की खबरें आये दिन सुनने को आ रही है। अधिकतम राज्यों से सीवर की सफाई करते समय मौतों के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। देश में पांच साल के दौरान सीवर की सफाई के दौरान लगभग 330 मजदूरों की मौत हुई है। सरकार की ओर से मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में यह मामला उठाया गया था। 2017-2021 तक सबसे अधिक 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई। हालांकि, उत्तर प्रदेश में 2020 और 2021 सीवर की सफाई के दौरान एक भी मजदूर की मौत नहीं हुई। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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आंकड़ों के मुताबिक देश में 2017 से 2021 तक कुल 330 मजदूरों की सीवर की सफाई के दौरान जान गई। इन पांच साल में 2019 के दौरान सीवर की सफाई करते हुए सबसे अधिक 116 मजदूरों की मौत हुई। वहीं, 2020 में सबसे कम 19 मजदूरों की मौत हुई।
यदि आंकड़ों पर फोकस किया जाये तो इन पांच सालों में सबसे ज्यादा 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई है। राज्य में 2017 में 13, 2018 में 8 और 2019 में 26 मजदूरों की सीवर की सफाई के दौरान मौत हुई।
sewer cleaning: सरकार ने पेयजल और स्वच्छता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की एक संयुक्त परियोजना ‘मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (नमस्ते)’ तैयार की है जिसका उद्देश्य भारत में स्वच्छता संबंधी कार्य के दौरान शून्य मृत्युदर करना है।
sewer cleaning: इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी स्वच्छता कर्मी मानव मल के सीधे संपर्क में नहीं आए। इसके अलावा आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने रखरखाव कार्यों के लिए आवश्यक मशीनरी और सफाईमित्रों (सीवर रखरखाव और मल निकालने के कार्यों में लगे कर्मचारी) के लिए मुख्य उपकरणों की किस्मों, सुरक्षा उपकरणों की सूची बनाई है।
राज्यों की ओर से इसकी खरीद को आसान बनाने के लिए इसे सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर भी उपलब्ध करवाया गया है। इसका उद्देश्य यंत्रीकृत मलसफाई प्रणाली के लिए आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता करवाना है।
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