जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत अन्य देशों के साथ अपने प्रयासों को समन्वित करे: संसदीय समिति
जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत अन्य देशों के साथ अपने प्रयासों को समन्वित करे: संसदीय समिति
नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले एक प्रमुख देश होने के नाते भारत को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पेरिस समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद अन्य देशों के साथ अपने प्रयासों को समन्वित करना चाहिए।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थायी समिति ने राज्यसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय करने चाहिए क्योंकि देश की आबादी अधिक है।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य भुवनेश्वर कालिता की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति ने कहा, ‘‘समिति का मानना है कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय है और सर्वाधिक आबादी वाले देशों में से एक होने के नाते भारत को इस बारे में सोचने की जरूरत है…हमें वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के साथ सहयोग करना चाहिए, क्योंकि पेरिस समझौते के बाद जलवायु शिखर सम्मेलनों में धीमी प्रगति देखी गई है।’’
समिति के अनुसार, ‘‘प्रगतिशील कदम उठाते समय भारत को अपने प्रयासों को अन्य देशों के साथ समन्वित करना चाहिए।’’
समिति ने पेरिस समझौते से अमेरिकी प्रशासन के बाहर निकलने और विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तपोषण पर इसके प्रभाव पर चिंता जताई है।
समिति ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में भारत को एक विशाल देश और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले एक प्रमुख देश होने के नाते, जिम्मेदारी लेनी चाहिए तथा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए।’’
पेरिस समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के अलावा युद्ध, व्यापार विवाद और विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त प्रदान करने में विफलता जैसे भू-राजनीतिक मुद्दों ने विभिन्न देशों के बीच विश्वास को कमजोर किया है तथा जलवायु कार्रवाई को और अधिक कठिन बना दिया है।
भाषा
सुभाष अविनाश
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