विपक्षी नेता दिल्ली दंगा मामले में राष्ट्रपति से मिले, हिंसा में पुलिस की भूमिका की जांच की मांग
विपक्षी नेता दिल्ली दंगा मामले में राष्ट्रपति से मिले, हिंसा में पुलिस की भूमिका की जांच की मांग
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और फरवरी में हुए दंगों के दौरान पुलिस की भूमिका के अलावा घटना की जांच के संबंध में अपनी चिंताएं प्रकट की ।
एक संयुक्त ज्ञापन में नेताओं ने दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही दंगों की जांच को लेकर अपनी चिंताएं प्रकट की ।
दिल्ली पुलिस ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनायी है और स्पेशल सेल भी दिल्ली दंगों के पीछे की साजिश के पहलुओं की जांच कर रही है । दंगों में 53 लोगों की मौत हो गयी थी ।
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस की भूमिका और जिस प्रकार पुलिस सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी मुहिम में हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ताओं और युवाओं को फर्जी तरीके से फंसाने और उन्हें परेशान करने का प्रयास कर रही है, उसको लेकर गंभीर चिंताए पैदा हुई हैं ।
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘राजनीतिक नेताओं को फंसाने के लिए अब इसी तरह का षड्यंत्र किया जा रहा है।’’
आरोपियों के बयानों के आधार पर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का संदर्भ दिए जाने को लेकर भी ज्ञापन में पुलिस की आलोचना की गयी है ।
नेताओं ने कहा, ‘‘यह परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और जांच के तरीकों पर गंभीर सवाल उठा है। ’’
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ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हिंसा के दौरान व्यथित करने वाला एक वीडियो सामने आया जिसमें दिखा कि वर्दी पहने हुए पुलिसवाले सड़क पर एक युवक को मार रहे थे और उसे राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया । ’’
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हिंसा में एक डीसीपी, अतिरिक्त आयुक्त और थाना प्रभारी समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की कथित संलिप्तता को लेकर कई शिकायतों के बावजूद हिंसा में संलिप्त रहे पुलिसकर्मियों की पहचान स्थापित करने और न्याय के कटघरे में लाने के लिए कोई तेजी नहीं दिखायी गयी। ’’
ज्ञापन में कहा गया कि भाजपा नेताओं के कथित नफरत वाले भाषणों और पुलिस कर्मियों की भूमिका को लेकर चुप्पी ओढ़ ली गयी।
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘राज्य की कानून और व्यवस्था में लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए ठोस और पक्षपात रहित जांच कराना महत्वपूर्ण है। देश में विरोध और असहमति को दबाकर लोगों को फंसाने के लिए जांच के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती। ’’
ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि भारत सरकार से मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग कानून 1952 के तहत जांच करवाने का आह्वान करें।’’

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