भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों के लिए समानता और वित्त संबंधी जरूरतों का मुद्दा उठाया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों के लिए समानता और वित्त संबंधी जरूरतों का मुद्दा उठाया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों के लिए समानता और वित्त संबंधी जरूरतों का मुद्दा उठाया
Modified Date: December 12, 2025 / 11:55 am IST
Published Date: December 12, 2025 11:55 am IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए-7) को अवगत कराया कि वैश्विक पर्यावरणीय समाधान ‘जन-केंद्रित’ और समानता पर आधारित होने चाहिए जिसके लिए विकासशील देशों को सुलभ वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और दक्षता विकास की जरूरत है।

भारत की ओर से राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बृहस्पतिवार को केन्या के नैरोबी में कहा कि यूएनईए-7 का विषय ‘एक मजबूत ग्रह के लिए सतत समाधान को आगे बढ़ाना है’’, भारत की प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने और सामावेशी, जलवायु-लचीले विकास को बढ़ावा देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

सिंह ने कहा, ‘‘भारत इस दृढ़ विश्वास के साथ यूएनईए-7 में भाग ले रहा है कि पर्यावरणीय समाधानों का केंद्र बिंदु लोग ही रहने चाहिए। वैश्विक कदम उठाते समय समानता, साझी लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियां, हर देश की अपनी क्षमता और उसकी परिस्थितियों का सम्मान के सिद्धांतों का पालन जरूरी है।’’

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उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत महत्वाकांक्षा को बढ़ावा देते हैं, विश्वास को प्रोत्साहित करते हैं और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करते हैं।

मंत्री ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत ने देश के भीतर जो कदम उठाए हैं, वे दिखाते हैं कि दृढ़ राष्ट्रीय प्रयासों से क्या हासिल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन की 235 गीगावाट की स्थापित क्षमता हासिल कर चुका है, जो लक्ष्य से काफी आगे है।

सिंह ने कहा कि भारत का ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान एक जन आंदोलन बन गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस पहल के तहत खराब हो चुके भूदृश्यों को पुनर्स्थापित करने और पारिस्थितिक लचीलापन बढ़ाने के लिए 2.6 अरब से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं।’’

भाषा रवि कांत खारी

खारी


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