भारत को कुष्ठ रोग के मरीजों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए: डब्ल्यूएचओ सद्भावना दूत

भारत को कुष्ठ रोग के मरीजों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए: डब्ल्यूएचओ सद्भावना दूत

भारत को कुष्ठ रोग के मरीजों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए: डब्ल्यूएचओ सद्भावना दूत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: January 30, 2021 7:18 am IST

(रुपेश दत्ता)

नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) कुष्ठरोग के खिलाफ डब्ल्यूएचओ सद्भावना दूत योहेई सासाकावा ने कहा है कि भारत को कुष्ठरोग के मरीजों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए, क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी जैसे हालात ने कुष्ठरोगियों को बुरी तरह प्रभाावित किया है।

कुष्ठ रोग के खिलाफ प्रयास के लिए 2019 में गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित सासाकावा ने कहा कि हमेशा की तरह कुष्ठ रोग के मरीजों को इस मुश्किल समय में नजरअंदाज किया गया और उनकी कुशल क्षेम जानने के लिए बहुत कम लोग आगे आए।

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सासाकावा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘भारत और कई अन्य देशों में कुष्ठरोगी अकसर आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। बड़ी संख्या में कुष्ठ रोगियों को कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए आवागमन पर लगे प्रतिबंधों एवं लॉकडाउन के कारण आय का स्रोत गंवा देने के कारण मदद की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने कुष्ठ रोग के खिलाफ भले की सतर्कता बढ़ा दी है, लेकिन देश के अंदरूनी इलाकों, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में इन मामलों का पता लगाने के प्रयास पर्याप्त नहीं है।

साराकावा ने कहा कि सरकार को कुष्ठरोग से प्रभावित लोगों को मुख्यधारा में लाना चाहिए और उनका उपचार कराना चाहिए।

शनिवार को विश्व कुष्ठरोग दिवस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में वार्षिक आधार पर सामने आने वाले कुष्ठरोग के नए मामलों की संख्या भारत में सर्वाधिक है। भारत के बाद ब्राजील और इंडोनेशिया का नंबर आता है।

भारत में 2016 में कुष्ठरोग के 1,35,485 नए मामले सामने आए, जो विश्वभर में सामने आए 2,14,783 नए मामलों का 63 प्रतिशत है।

भाषा

सिम्मी शाहिद

शाहिद


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