नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) भारत धीरे-धीरे वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहा है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कामकाजी आयु वर्ग (15-59 वर्ष) की जनसंख्या का अनुपात बढ़ रहा है, जबकि 0-14 आयु वर्ग की आबादी में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इतना ही नहीं, प्रजनन दर में भी कमी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1971 से 1981 के बीच 0-14 आयु वर्ग की हिस्सेदारी 41.2 प्रतिशत से घटकर 38.1 प्रतिशत रह गई थी, जबकि 1991 से 2023 के बीच यह आंकड़ा 36.3 प्रतिशत से गिरकर 24.2 प्रतिशत हो गया।
भारत के महापंजीयक की ओर से जारी एसआरएस आंकड़ों से पता चलता है कि इसी अवधि में देश की कुल प्रजनन दर 1971 के 5.2 से घटकर 2023 में 1.9 रह गई है।
एसआरएस में लगभग 88 लाख की नमूना जनसंख्या को शामिल किया गया है और यह विश्व के सबसे बड़े जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों में से एक है।
रिपोर्ट बताती है कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 0-14 आयु वर्ग में लड़कों की संख्या लड़कियों से अधिक है, सिवाय दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों के, जहां लड़कियों का अनुपात अधिक है।
कामकाजी आयु वर्ग का अनुपात 1971 में 53.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 66.1 प्रतिशत हो गया है। सबसे अधिक प्रतिशत दिल्ली (70.8 प्रतिशत) में और उसके बाद तेलंगाना (70.2 प्रतिशत) और आंध्र प्रदेश (70.1 प्रतिशत) में है, जबकि सबसे कम बिहार (60.1 प्रतिशत) में दर्ज किया गया।
शहरी क्षेत्रों में यह वर्ग 68.8 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 64.6 प्रतिशत है। जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण महिलाओं, और असम में शहरी पुरुषों की कामकाजी आयु वर्ग में सबसे अधिक हिस्सेदारी है।
वृद्धों की आबादी में भी वृद्धि दर्ज की गई है तथा 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले लोग 2023 में 9.7 प्रतिशत हो गए हैं। केरल (15.1 फीसदी), तमिलनाडु (14 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (13.2 प्रतिशत) इस वर्ग में सबसे आगे हैं।
भाषा सुरेश अविनाश
अविनाश