भारत के ज्ञान के केंद्र के रूप में उभरने, पुन: विश्व गुरू बनने का समय आ गया है: नायडू

भारत के ज्ञान के केंद्र के रूप में उभरने, पुन: विश्व गुरू बनने का समय आ गया है: नायडू

भारत के ज्ञान के केंद्र के रूप में उभरने, पुन: विश्व गुरू बनने का समय आ गया है: नायडू
Modified Date: November 29, 2022 / 08:48 pm IST
Published Date: September 5, 2021 4:50 pm IST

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि भारत के पुन: ‘विश्व गुरू’ बनने और ज्ञान एवं नवोन्मेष के केंद्र के रूप में उभरने का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि देश को न केवल फलने-फूलने के लिए प्रयास करने चाहिए बल्कि भावी पीढ़ी के लिए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को भी सहेजना चाहिए।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर फेसबुक पर एक पोस्ट में नायडू ने कहा, ‘‘हममें से प्रत्येक व्यक्ति, जीवन में अपने करियर विकल्पों के लिए बहुत हद तक हमारे शिक्षकों की सलाह और उनके मार्गदर्शन के लिए आभारी है।’’

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उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत प्राचीन काल में अध्ययन का एक प्रतिष्ठित केंद्र था। उन्होंने कहा, ‘‘इसे ‘विश्व गुरू’ के नाम से जाना जाता था जहां विश्व के अलग-अलग कोनों से विभिन्न विषयों का ज्ञान पाने के इच्छुक लोग आते थे। लोग अपने बुद्धि को प्रखर करने, नया ज्ञान प्राप्त करने, अपने कौशल को निखारने और समझ के आयामों को व्यापक करने के लिए दूर-दूर से यहां आते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चरक संहिता, अर्थशास्त्र, शुक्रनीतिसार और पतंजलि के योग सूत्र ऐसे प्राचीन ग्रंथ हैं जो इस बात के साक्ष्य हैं कि प्राचीन काल का भारत प्रचुर ज्ञान का भंडार था। उस समय की शिक्षा प्रणाली औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरह की थी और तब किसी के भी सर्वांगीण विकास में गुरुकुलों, पाठशाला और मंदिरों की अहम भूमिका होती थी।’’

नायडू ने कहा, ‘‘इसके मूल में थी उस समय की अनूठी गुरु-शिष्य परंपरा जिसमें विद्वान गुरु ज्ञान के खजाने से छात्रों को लाभान्वित करते थे और इसके साथ ही उत्सुक, अनुशासित तथा समर्पित छात्र को जीवन के आवश्यक पाठ भी सिखाते थे।’’

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य पूरी शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करना है और नई व्यवस्था बनाना है जो 21वीं सदी की शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप हों तथा जिनका आधार भारत की परंपराएं और मूल्य प्रणाली हो।

भाषा

मानसी नरेश

नरेश


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