जनता को फिर से शासन नहीं सौंपना चाहता जम्मू कश्मीर प्रशासन: उमर

जनता को फिर से शासन नहीं सौंपना चाहता जम्मू कश्मीर प्रशासन: उमर

जनता को फिर से शासन नहीं सौंपना चाहता जम्मू कश्मीर प्रशासन: उमर
Modified Date: March 18, 2024 / 05:31 pm IST
Published Date: March 18, 2024 5:31 pm IST

कुलगाम (जम्मू-कश्मीर), 18 मार्च (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन पर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने में ‘‘विघ्न’’ डालने का आरोप लगाया और कहा कि मौजूदा सरकार बेताज बादशाहों की तरह शासन करना जारी रखना चाहती है।

अब्दुल्ला ने अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र के लिए पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम लोकसभा चुनावों के साथ ही (विधानसभा) चुनाव भी चाहते थे लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। जम्मू कश्मीर के मौजूदा प्रशासन ने चुनाव कराने में विघ्न डाला क्योंकि वे जनता को दोबारा सत्ता नहीं सौंपना चाहते। वे बेताज बादशाहों की तरह शासन कर रहे हैं।’’

इससे पहले यहां जिले के दमहाल हांजीपोरा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नेशनल कान्फ्रेंस के नेता अब्दुल्ला ने कहा कि नौकरशाहों ने विधानसभा चुनाव कराने में विघ्न डाला।

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उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव कराने में बाधाएं हमारे अधिकारियों ने यह कहकर डालीं कि वे पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सकते। आप खुद कहते हैं कि स्थिति बेहतर है, सामान्य स्थिति बहाल हो गई है, अब बंदूकों का कोई खतरा नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘यदि बंदूकों का ख़तरा नहीं है, तो आपको ज़्यादा सुरक्षा तैनाती की ज़रूरत नहीं होगी और अगर ज़रूरत नहीं है, तो आपको चुनाव कराना चाहिए था। वास्तविकता यह है कि वे बिगड़ रहे हैं।’

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस साल उच्चतम न्यायालय की 30 सितंबर की समय सीमा से पहले विधानसभा चुनाव कराने होंगे, जो शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के बाद अपना आदेश पारित करते समय दिया था।

उन्होंने कहा, ‘हम ईश्वर का धन्यवाद देते हैं कि उन्हें उच्चतम न्यायालय के अनुसार 30 सितंबर से पहले यहां चुनाव संपन्न कराने होंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने भी कहा है कि समय सीमा से पहले चुनाव होंगे।’

विपक्षी दलों की ईवीएम के बारे में शिकायत पर टिप्पणी पूछे जाने पर, अब्दुल्ला ने कहा कि भले ही वह चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ शिकायत करें, फिर भी उनका इस्तेमाल किया जाएगा क्योंकि ईसीआई फिर से कागजी मतपत्रों का उपयोग करने के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘इसलिए, हमें अपने एजेंटों को सतर्क रखना होगा और किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने देनी होगी।’

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर एक सवाल के जवाब में, अब्दुल्ला ने कहा कि सीएए सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि कई अन्य अल्पसंख्यक भी हैं जिन्हें इसके दायरे से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पुरानी आदत है और वे अपना तरीका नहीं सुधारेंगे।’

पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) की स्थिति पर एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन कायम है। उन्होंने कहा, ‘इसकी स्थिति का क्या हुआ? हम अपनी अलग-अलग पार्टियां चलाते हैं… हमने एकसाथ और व्यक्तिगत रूप से संवाददाता सम्मेलन किये हैं। और आज, मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से बात कर रहा हूं, क्या इसका मतलब यह है कि पीएजीडी नहीं है। यह कायम है और एक या दो दिन में बैठक होगी।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी के गुज्जर नेता मियां अल्ताफ अहमद निर्वाचन क्षेत्र के लिए नेशनल कान्फ्रेंस के उम्मीदवार होंगे, अब्दुल्ला ने कहा कि वे उचित समय पर उम्मीदवारों की घोषणा करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘अल्ताफ को जब भी पार्टी ने बुलाया है, वह आये हैं। वह हमारी पार्टी के सहयोगी हैं और हमारे कार्यक्रमों में शामिल होना उनके लिए कोई नई बात नहीं है और वह ऐसा करना जारी रखेंगे।’’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन करने का भाजपा का मकसद बांटो और राज करो है। उन्होंने कहा, ‘‘परिसीमन उसी तरह से किया गया जैसे अंग्रेजों ने किया था बांटो और राज करो। वही यहां किया जा रहा है। कश्मीर को जम्मू से, हिंदुओं को मुसलमानों से, गुज्जरों को पहाड़ियों से लड़ाया जा रहा है, उद्देश्य दक्षिण कश्मीर सीट पर पर किसी भी तरह से सफलता हासिल करना है। लेकिन, लोग मूर्ख नहीं हैं। वे देश के बाकी हिस्सों में भाजपा के दृष्टिकोण को जानते हैं।’’

चुनावी बांड विवाद पर उन्होंने कहा कि जहां भाजपा को लगभग 6,900 करोड़ रुपये की भारी राशि का भुगतान किया गया, वहीं उनकी पार्टी को केवल 50 लाख रुपये मिले।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘मेरे एक मित्र, एयरटेल, ने हमें पार्टी चलाने के लिए 50 लाख रुपये का बांड दिया। यह 50 लाख रुपये बनाम 6,900 करोड़ रुपये है, इसकी कोई तुलना नहीं है। लेकिन, केवल उन लोगों को पैसे का उपयोग करने की ज़रूरत है, जिनके पास लोगों का समर्थन नहीं है। 50 लाख रुपये की राशि हमारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोग नेशनल कान्फ्रेंस के साथ हैं।’’

भाषा अमित माधव

माधव


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