कर्नाटक दुर्घटना: चश्मदीदों ने हादसे के बाद का मंजर बयां किया

कर्नाटक दुर्घटना: चश्मदीदों ने हादसे के बाद का मंजर बयां किया

कर्नाटक दुर्घटना: चश्मदीदों ने हादसे के बाद का मंजर बयां किया
Modified Date: December 25, 2025 / 03:53 pm IST
Published Date: December 25, 2025 3:53 pm IST

(फोटो के साथ)

चित्रदुर्ग (कर्नाटक), 25 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक के चित्रदुर्ग में बुधवार देर रात को हुए बस हादसे में जीवित बचे व्यक्ति ने इस पूरे घटनाक्रम का आंखो देखा हाल सुनाते हुए कहा, ‘‘पूरी बस में आग लग चुकी थी और दरवाजा खोला नहीं जा सकता था।’’

आदित्य ने अफरा-तफरी के उस दृश्य को याद किया जब आग की लपटों ने वाहन को अपनी चपेट में ले लिया और दरवाजे नहीं खुल पा रहे थे। एक तेज रफ्तार ट्रक से टक्कर के बाद स्लीपर बस में आग लग जाने से कम से कम पांच लोगों की जान चली गई थी।

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चश्मदीद ने बताया, ‘‘टक्कर इतनी जोरदार थी कि मैं गिर पड़ा और कुछ ही मिनटों में आग तेजी से फैलने लगी, लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे।’’

दुर्घटना में बचे आदित्य ने यहां पत्रकारों को बताया, ‘‘हमने शीशा तोड़ दिया और भागने की कोशिश की। उस वक्त लोग चीख रहे थे। कुछ लोगों ने दूसरों को बचाने की कोशिश की, लेकिन आग तेजी से फैल रही थी, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो रहा था।’’

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार देर रात करीब दो बजे हिरियूर के पास एक तेज रफ्तार कंटेनर ट्रक ने एक निजी ‘लक्जरी स्लीपर’ बस को टक्कर मार दी, जिससे बस में आग लग गई और कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई।

बेंगलुरु से गोकर्ण जा रही बस में 32 लोग थे और कंटेनर ट्रक डिवाइडर को पार कर सामने से आ रही बस से टकरा गया।

एक व्यक्ति ने खुद को घटना का प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करते हुए बताया कि कैसे ट्रक चालक ने कथित तौर पर नियंत्रण खो दिया और बस को टक्कर मार दी।

उन्होंने कहा, ‘‘ट्रक चालक ने नियंत्रण खो दिया, शायद नींद के कारण। विपरीत दिशा से दो बसें आ रही थीं। ट्रक ने एक बस को टक्कर मार दी (जिसमें आग लग गई), स्कूली बच्चों से भरी दूसरी बस तुरंत दूसरी तरफ मुड़ गई। अगर ऐसा नहीं होता तो उस बस में भी आग लग जाती।’’

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि टैंकर से डीजल के रिसाव के कारण बस में आग लगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर रिसाव नहीं होता तो आग नहीं लगती।’’

उन्होंने उस भावुक दृश्य को याद किया जिसमें महिला अपने बच्चे को बचाने के लिए जलती हुई बस में घुसने की कोशिश कर रही थी, जो अंदर फंसा हुआ था।

व्यक्ति ने बताया, ‘‘बस से उतरने में कामयाब हुए एक दंपति अपने बच्चे को ढूंढ रहे थे। मां जलती हुई बस में घुसने की कोशिश कर रही थी और बच्चे के लिए चिल्ला रही थी। हमने उसे रोका और थोड़ा पानी दिया। बच्चा बच नहीं पाया।’’

स्कूली बच्चों को लेकर एक स्कूल बस बेंगलुरु से दांदेली जा रही थी। यह बस दुर्घटनाग्रस्त बस के पीछे चल रही थी। बस के चालक ने बताया कि ट्रक डिवाइडर को पार कर हमारी ओर सड़क पर आ गया था। उन्होंने कहा, ‘‘वह दृश्य अब भी मेरी आंखों के सामने है, जिसे मैं भूल नहीं पा रहा हूं।’’

उन्होंने बताया, ‘‘ट्रक ने बस के डीजल टैंक को सीधे टक्कर मार दी। इसलिए मैंने तुरंत अपनी बस की गति धीमी कर दी और उसे बाईं ओर मोड़ दिया… डीजल रिसाव के कारण उस बस में आग लग गई। लोगों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर हमने यथासंभव अधिक से अधिक लोगों को बचाने की कोशिश की।’’

चालक ने दावा किया, ‘‘मैंने खुद सात लोगों को बाहर निकाला और उनकी जान बचाई। फिर एक तरह का धमाका हुआ जिसके बाद मैं पास नहीं जा सका… एक मां अपने बच्चे के लिए जोर जोर से रो रही थी, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका।’’

उस समय घटनास्थल से गुजर रहे एक अन्य ट्रक के चालक ने बताया कि कैसे बस पूरी तरह से आग की चपेट में आ गई थी और लोग मदद के लिए चीख पुकार मचा रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हादसा देर रात करीब दो बजकर पांच मिनट पर हुआ और हम कुछ ही मिनटों में यहां पहुंच गए। तब तक बस पूरी तरह आग की चपेट में आ चुकी थी। आग इतनी भीषण थी कि हम बस के पास नहीं जा सके। एक महिला और एक पुरुष अपने बच्चे के लिए रो रहे थे। कुछ अन्य लोग भी चिल्ला रहे थे। ट्रक चालक का शरीर बुरी तरह झुलस चुका था और हमने शव को बाहर निकाला।’’

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने जलती हुई बस में फंसे यात्रियों द्वारा अपनी जान बचाने के लिए वाहन से कूदने के दृश्यों को बयां किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कुछ लोगों को आग से धू-धू करती बस से कूदते देखा। चालक और खलासी बच गए… हमने लोगों को, खासकर बच्चे को, बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन हम नाकाम रहे।’’

भाषा सुरभि पवनेश

पवनेश


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