कर्नाटक सरकार ने भगदड़ मामले में निलंबित आईपीएस अधिकारी को बहाल करने के आदेश को चुनौती दी

कर्नाटक सरकार ने भगदड़ मामले में निलंबित आईपीएस अधिकारी को बहाल करने के आदेश को चुनौती दी

कर्नाटक सरकार ने भगदड़ मामले में निलंबित आईपीएस अधिकारी को बहाल करने के आदेश को चुनौती दी
Modified Date: July 2, 2025 / 06:58 pm IST
Published Date: July 2, 2025 6:58 pm IST

बेंगलुरु, दो जुलाई (भाषा) कर्नाटक सरकार ने बुधवार को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के उस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसमें अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विकास कुमार विकास को बहाल करने का आदेश दिया गया था।

विकास को पिछले महीने यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ की घटना के बाद निलंबित किया गया था। इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 अन्य लोग घायल हो गए।

कैट ने मंगलवार को विकास के निलंबन को रद्द कर दिया और कहा कि राज्य की कार्रवाई का कोई ठोस आधार नहीं है। न्यायाधिकरण की बेंगलुरु पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी के श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य संतोष मेहरा ने माना कि राज्य निलंबन को उचित ठहराने के लिए ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा।

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कैट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसमें दलील दी गई है कि कैट ने पूर्ण विभागीय जांच के बिना घटना पर निर्णय देकर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है।

सरकार के अनुसार, पर्याप्त सहायक सामग्री सीलबंद लिफाफे में कैट को प्रस्तुत की गई थी, जिसमें कर्नाटक पुलिस नियमावली के अंश तथा तीन और चार जून की घटनाओं का विस्तृत घटनाक्रम शामिल है, लेकिन इन पर ‘‘उचित रूप से विचार नहीं किया गया।’’

राज्य ने दलील दी, ‘‘निलंबन को उचित ठहराने वाली सामग्री रिकॉर्ड पर रखने के बावजूद, न्यायाधिकरण इस पर उचित रूप से विचार करने में विफल रहा।’’

याचिका में न्यायाधिकरण द्वारा मामले में जारी जांच की व्याख्या पर भी सवाल उठाया गया है।

राज्य सरकार ने याचिका में कहा कि केंद्र के निर्देश पर शुरू की गई विभागीय जांच अग्रिम चरण में है। सरकार ने दावा किया कि इस घटनाक्रम की जानकारी 30 जून को कैट को मौखिक रूप से दी गई थी, लेकिन अंतिम फैसले में इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया।

भाषा शफीक अविनाश

अविनाश


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