बेंगलुरु, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने शुक्रवार को कहा कि संगठन के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन एक महान नेता थे और इसरो के 20,000 से अधिक कर्मचारियों के लिए परिवार के सदस्य की तरह थे।
कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वह 84 वर्ष के थे और पिछले कुछ महीनों से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके परिवार में दो बेटे हैं।
नारायणन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इसरो उपग्रह केंद्र को अब आर राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी) के नाम से जाना जाता है और यह बहुमुखी प्रतिभा वाले वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन की कई उपलब्धियों में से एक है।
उन्होंने कहा, ‘‘उस केंद्र को विश्व स्तरीय संगठन बनाने के लिए कई लोगों ने काम किया, लेकिन 1990 से 1994 के बीच इसके निदेशक रहे कस्तूरीरंगन ने इसके विकास में अद्वितीय भूमिका निभाई।’’
संयोगवश, केंद्र ने अपना 100वां उपग्रह 12 जनवरी, 2018 को प्रक्षेपित किया था।
नारायणन के मुताबिक, इसरो में अपने 35 वर्षों के कार्यकाल में कस्तूरीरंगन ने भारत के उपग्रह प्रौद्योगिकी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह नौ साल तक इसरो के प्रमुख रहे थे।
नारायणन ने यह भी कहा कि 1995 में इसरो प्रमुख का कार्यभार संभालने के ठीक एक साल बाद कस्तूरीरंगन ने उनके नेतृत्व में स्वदेशी क्रायोजेनिक प्रणोदन तकनीक को मंजूरी दी। उन्होंने बताया कि इसकी सफलता के साथ, भारत स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने वाले छह देशों में से एक बन गया।
इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘उन्होंने मेरे जैसे युवाओं को बहुत प्रोत्साहित किया। मुझे अब भी याद है कि जब क्रायोजेनिक परियोजना में कोई समस्या आई थी, तो वे लगभग तीन घंटे तक धैर्यपूर्वक मेरी बातें सुनते रहे थे।’’
इसी प्रकार, जब नारायणन चंद्रयान-2 के लैंडिंग प्रयास के दौरान हुई त्रुटियों की पहचान करने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष थे, तब भी कस्तूरीरंगन ने उनकी सिफारिशों को लगभग चार घंटे तक धैर्यपूर्वक सुना था।
नारायणन ने कहा, ‘‘जब चंद्रयान मिशन सफल हुआ तो वह बहुत खुश हुए थे। पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से, वह एक रत्न थे और मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।’’
कस्तूरीरंगन का पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा ताकि लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें।
भाषा धीरज सुरेश
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