थोट्टापल्ली ‘स्पिलवे’ से रेत खनन को विनियमित करने के लिए पैनल गठित करें: केरल उच्च न्यायालय
थोट्टापल्ली ‘स्पिलवे’ से रेत खनन को विनियमित करने के लिए पैनल गठित करें: केरल उच्च न्यायालय
कोच्चि, 18 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव को यह निर्धारित करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है कि क्या अलाप्पुझा जिले के थोट्टापल्ली ‘स्पिलवे’ से रेत खनन किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस गतिविधि के कारण कोई प्रतिकूल पारिस्थितिक या पर्यावरणीय प्रभाव न पड़े।
‘स्पिलवे’ वह संरचना या मार्ग होता है, जिससे बांध या जलाशय का अतिरिक्त पानी सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जाता है, ताकि पानी का स्तर नियंत्रित रहे और बांध को नुकसान न पहुंचे।
मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी. एम. की पीठ ने कहा कि यह समिति पारिस्थितिक प्रभाव के आकलन के बाद मिट्टी या रेत हटाने या खनन करने के सभी पहलुओं को निर्धारित और उनकी निगरानी करेगी।
पीठ ने कहा कि अब से समिति की अनुमति के बाद ही यहां से रेत या मिट्टी हटाई जा सकेगी।
अदालत ने दो महीने के भीतर जिला अधिकारी की अध्यक्षता में इस समिति के गठन का मुख्य सचिव को निर्देश दिया। समिति में सिंचाई, वन और तटीय प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञों के साथ-साथ जिले की पुरक्कड़ और थकाजी ग्राम पंचायतें तथा स्थानीय स्तर पर सक्रिय एवं विशेषज्ञ एनजीओ शामिल होंगे।
यह आदेश ‘‘ग्रीन रूट्स नेचर कंजर्वेशन फोरम’’ और एक स्थानीय निवासी की उन याचिकाओं पर आया, जिनमें बाढ़ नियंत्रण के उपायों के तहत रेत हटाने की अनुमति देने वाले जिलाधिकारी के आदेश को चुनौती दी गई थी।
जिलाधिकारी के आदेश में पंपा, मणिमाला और अचकोविल नदियों के पानी का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए रेत हटाने का सुझाव दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस गतिविधि से ‘ओलिव रिडले’ कछुओं के प्रजनन स्थल सहित 15 एकड़ संवेदनशील क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।
अदालत ने कहा कि इस गतिविधि के पर्यावरणीय प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पीठ ने जोर दिया कि विशेषज्ञों की समिति द्वारा निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि बाढ़ नियंत्रण के उपाय केवल एक साधारण खनिज रेत खनन परियोजना बनकर न रह जाएं।
भाषा सुमित सुरेश
सुरेश

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