पहलगाम में घुड़सवारी नहीं करने के फैसले के कारण बाल-बाल बचे केरल के पर्यटक

पहलगाम में घुड़सवारी नहीं करने के फैसले के कारण बाल-बाल बचे केरल के पर्यटक

पहलगाम में घुड़सवारी नहीं करने के फैसले के कारण बाल-बाल बचे केरल के पर्यटक
Modified Date: April 24, 2025 / 01:39 pm IST
Published Date: April 24, 2025 1:39 pm IST

तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) कश्मीर के पहलगाम घूमने गया केरल के 23 पर्यटकों का समूह घुड़सवारी करने के बजाय पास के किसी अन्य स्थान पर घूमने का विकल्प चुनने के कारण मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में बाल-बाल बच गया।

पर्यटकों के इस समूह में एक बच्चा भी शामिल था।

समूह में शामिल पर्यटकों ने दिल्ली स्थित ‘केरल हाउस’ में संवाददाताओं से कहा कि यदि उन्होंने घुड़सवारी का विकल्प चुना होता, तो शायद वे भी उन 26 लोगों में शामिल होते जो आतंकवादी हमले में मारे गए।

 ⁠

समूह में शामिल एक महिला ने कहा, ‘‘घुड़सवारी का किराया हमारे लिए बहुत अधिक था इसलिए हम टैक्सी लेकर दूसरी जगह चले गए। वहां से हम बैसरन की ओर जा रहे थे तभी हमने कुछ जोरदार आवाज सुनीं, दुकानें बंद की जा रही थीं और लोग इधर-उधर भाग रहे थे।’’

महिला ने कहा, ‘‘शुरू में हमें समझ नहीं आया कि हो क्या रहा है और हमने अपने ‘गाइड’ से हमें किसी दूसरी जगह ले जाने के लिए कहा। लेकिन उसने कहा कि क्या हम जिंदा रहना चाहते हैं या सैर-सपाटा करना चाहते हैं।’’

उसने कहा कि उन्हें वापस उसी स्थान पर ले जाया गया, जहां से उन्होंने टैक्सी ली थी और फिर उन्हें उनके होटल के कमरों में वापस ले जाया गया।

महिला ने कहा, ‘‘जब हम होटल पहुंचे तो हमने समाचारों में देखा कि क्या हुआ था। तब हमें पता चला कि हम इस हमले में कैसे बाल-बाल बच गए।’’

समूह के एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘‘अगर हम घुड़सवारी करते तो हम भी मृतकों में शामिल होते।’’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसी भी पर्यटक स्थल पर कोई सुरक्षा नहीं थी।

उन्होंने कहा, ‘‘इन स्थलों के मार्ग पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे लेकिन पर्यटक स्थलों पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था। शायद इसी लिए उस स्थान पर हमला हुआ।’’

आतंकवादियों ने मंगलवार दोपहर को कश्मीर के पहलगाम शहर के पास एक पर्यटक स्थल पर गोलीबारी की जिसमें 26 लोग मारे गए। इस हमले में मारे गए लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे।

यह 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला है।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश


लेखक के बारे में