विधायिका बार-बार बाधित किए जाने के कारण कार्यपालिका को जवाबदेह नहीं बना पा रही: नायडू

विधायिका बार-बार बाधित किए जाने के कारण कार्यपालिका को जवाबदेह नहीं बना पा रही: नायडू

विधायिका बार-बार बाधित किए जाने के कारण कार्यपालिका को जवाबदेह नहीं बना पा रही: नायडू
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: December 25, 2021 2:49 pm IST

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित और जबरन स्थगित किए जाने के कारण विधानपालिका कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने की अपनी जिम्मेदारी को लेकर उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रही।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘निष्क्रिय’’ विधायिका के कारण शासन से समझौता होता है, क्योंकि कार्यपालिका को इस बात का भय नहीं होता कि विधानपालिका में उससे सवाल किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सुशासन के लिए अच्छी विधायिका की आवश्यकता होती है, ताकि लोगों के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

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नायडू ने ‘सुशासन दिवस’ पर चेन्नई में राजभवन से एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि प्रश्नकाल, लघु अवधि की चर्चाओं और विधेयकों पर बहस जैसे विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके निर्वाचित प्रतिनिधि नीतियों के क्रियान्वयन और विभिन्न कल्याणकारी एवं विकास परियोजनाओं के निष्पादन को लेकर सरकार से सवाल कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके लिए ‘अच्छे सांसदों या विधायकों’ की आवश्यकता है, जो लोगों द्वारा उन पर जताए भरोसे पर खरा उतरने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।

नायडू ने कहा, ‘‘यदि कोई सांसद या विधायक अपना काम प्रभावी तरीके से नहीं करता है, तो उसे विभिन्न स्तरों पर कार्यपालिका से सवाल करने का मौलिक अधिकार नहीं होता।’’

नायडू राज्यसभा के सभापति भी हैं, जिसे विपक्ष के 12 सदस्यों के निलंबन के कारण हाल में सम्पन्न हुए शीतकालीन सत्र में कई बार स्थगित करना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र के बार-बार बाधित होने से प्रश्नकाल के 61 प्रतिशत समय का नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा कि सुशासन प्रशासन में लोगों का विश्वास बढ़ाता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

भाषा सिम्मी प्रशांत

प्रशांत


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